तीन तलाक के बाद पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट का परीक्षण करेगा सुप्रीम कोर्ट

मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक़ से आज़ादी मिलने के बाद अब पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.

तीन तलाक के बाद पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट का परीक्षण करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली:

मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक़ से आज़ादी मिलने के बाद अब पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. नाओमी सैम ईरानी पारसी महिला ने पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट, 1936 के कुछ प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी है. नाओमी सैम ईरानी ने अपनी याचिका में कहा है कि तलाक प्रक्रिया के दौरान दंपति को भारी प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है. ईरानी ने इसी साल की शुरुआत में बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी 11 साल पुरानी शादी को खत्म करने की गुहार लगाई थी.

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महिला का एक दस साल का बेटा और 8 साल की बेटी है. याचिका में कहा गया है कि 1936 का पर्सनल लॉ में जो प्रक्रिया है, उसके तहत किसी भी तरह का मध्यस्थता और समझौते का व्यस्था नही है जैसा हिन्दू मैरिज एक्ट में है. याचिका में ये भी कहा गया है कि एक साल से ज्यादा हो गए है लेकिन हाई कोर्ट में अभी तक पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट के तहत सुनवाई के लिए जज ने सुनवाई की तारीख नहीं दी और इस तरह याचिकाकर्ता जल्द सुनवाई के अधिकार से वंचित रहा है.

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याचिका में यह भी कहा गया है कि पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट की धारा 18 के तहत प्रावधान है कि कोलकाता, मद्रास और बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश विशेष कोर्ट का गठन करे और उसमें पांच प्रतिनिधि भी हो जो मिलकर गुजारा भत्ता और बच्चे की कस्टडी आदि को तय करे. ये प्रतिनिधि ज्यूरी की तरह काम करे और बहुमत से फैसला ले, जबकि असलियत ये है कि पारसी चीफ मेट्रोपोलिटन कोर्ट साल में सिर्फ एक या दो बार बैठती है, और तलाक के बढ़ते याचिकाओं को देखते हुए ज्यूरी सिस्टम को लागू किया जाए ताकि जल्द न्याय मिल सके.

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