BSF के पूर्व जवान तेज बहादुर की याचिका पर मंगलवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

तेज बहादुर यादव को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था. चुनाव याचिका पर चली लम्बी बहस और सभी पक्षों को सुनने के बाद 23 अक्टूबर, 2019 को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था.

BSF के पूर्व जवान तेज बहादुर की याचिका पर मंगलवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी से निर्वाचन के खिलाफ बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर द्वारा दाखिल अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा. 17 नवंबर को अदालत ने इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सीजेआई एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच फैसला सुनाएगी.

पूर्व सैनिक तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट का मानना था कि तेज बहादुर न तो वाराणसी के वोटर हैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उम्मीदवार थे. इस आधार पर उसका इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं बनता.

शीर्ष अदालत ने तेज बहादुर के वकील के सुनवाई को स्थगित करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. पीठ ने कहा था कि प्रधानमंत्री कार्यालय अनूठा कार्यालय है और इसके खिलाफ याचिका को अनिश्चितकाल के लिए लंबित नहीं रखा जा सकता. अदालत ने टिप्पणी की थी कि तेज बहादुर का नामांकन उचित तरीके से खारिज किया गया था या अनुचित तरीके से, यह उनकी पात्रता पर निर्भर करता है.

सीजेआई एस ए बोबडे ने तेज बहादुर के वकील से कहा था कि हमें आपको स्थगन की छूट क्यों देनी चाहिए, आप न्याय की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं. आप बहस कर रहे हैं. वकील ने दलील दी कि बहादुर ने पहले एक निर्दलीय उम्मीदवार और बाद में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन पत्र दायर किया था.

बहादुर ने सैन्य बलों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर शिकायत करते हुए एक वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किया था, जिसके बाद उन्हें 2017 में बीएसएफ से बर्खास्त कर दिया गया था.

तेज बहादुर यादव ने पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दाखिल की थी. चुनाव याचिका में तेज बहादुर ने पीएम नरेंद्र मोदी का चुनाव रद्द करने की मांग की थी. उन्होंने याचिका में आरोप लगाया था कि पीएम के दबाव में गलत तरीके से चुनाव अधिकारी ने उनका नामांकन रद्द किया.

तेज बहादुर यादव को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था. चुनाव याचिका पर चली लम्बी बहस और सभी पक्षों को सुनने के बाद 23 अक्टूबर, 2019 को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था.

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