कोल ब्लॉक नीलामी : SC ने कहा- केंद्र बगैर इजाजत खनन के लिए नहीं खोदे जमीन, झारखंड की अर्जी पर सुनवाई जनवरी में

झारखंड सरकार ने कहा है कि खोयला खनन का झारखंड और उसके निवासियों की विशाल ट्राइबल आबादी और वन भूमि पर सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के निष्पक्ष मूल्यांकन की आवश्यकता है.

कोल ब्लॉक नीलामी : SC ने कहा- केंद्र बगैर इजाजत खनन के लिए नहीं खोदे जमीन, झारखंड की अर्जी पर सुनवाई जनवरी में

झारखंड सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जनवरी के तीसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली:

केंद्र की कोयला ब्लॉकों की वर्चुअल नीलामी की परियोजना के खिलाफ झारखंड सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जनवरी के तीसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र हमारी अनुमति के बिना झारखंड में खनन के लिए जमीन ना खोदे. SC ने चेतावनी दी कि बंद खदानों को दोबारा रिग्रास नहीं किया गया तो कार्रवाई होगी. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह बंद खानों को फिर से रिग्रास करने के अपने आदेशों का कड़ाई से पालन चाहता है. केंद्र ने SC को सूचित किया कि खनन स्थल पर कुछ भी नहीं हो रहा है और नीलामी एक लंबी प्रक्रिया है.

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि झारखंड में 9 खानों की नीलामी के संबंध में कोई भी नीलामी, लाइसेंस, पट्टा आदि अदालत के अंतिम आदेशों के अधीन होगा. केंद्र ने अदालत को आश्वासन दिया कि इस बीच कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा और खनन नहीं होगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रुप से टिप्पणी की कि वो देशभर के लिए आदेश जारी करने पर विचार करेगा कि अगर कोई खदान इको सेंसेटिव जोन के 50 किमी के दायरे में आती है तो खनन की इजाजत नहीं होगी. 

CJI एस ए बोबडे ने कहा, "हम देश के विकास को रोकना नहीं चाहते हैं, लेकिन हम नहीं चाहते कि किसी भी तरह प्राकृतिक संपदा का क्षय हो. जंगल को देखने का पूरा तरीका गलत है. केंद्र सरकार ने जंगल पर नहीं लकड़ी पर आर्थिक मूल्य डाला. हम नहीं चाहते कि खनन के कारण वन नष्ट हों. 

झारखंड में कोयला खदानों की नीलामी के खिलाफ झारखंड की याचिका पर सुनवाई के दौरान SC ने कहा कि वह यह जांचने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल नियुक्त करना चाहता है कि क्या झारखंड में खदानों की नीलामी इको जोन के अंतर्गत हो रही है. SC ने कहा कि वह नीलामी पर रोक लगा सकता है जब तक कि विशेषज्ञ पैनल अपनी रिपोर्ट को प्रस्तुत नहीं कर देता. हालांकि, केंद्र की ओर से AG ने इसका विरोध किया.

CJI ने एजी से कहा - हम पर्यावरण पर अपने विवेक को संतुष्ट करना चाहते हैं. आप समिति की मदद करें और वे एक महीने के भीतर रिपोर्ट करेंगे और हम इस बीच नीलामी को रोक सकते हैं. एजी ने नीलामी पर रोक का विरोध करते हुए कहा कि यह पहले से ही चल रही है और आर्थिक क्षेत्र से खदानें 20 किलोमीटर से अधिक दूर हैं. 

एजी ने कहा, "SC के किसी के भी आदेश का पूरे देश में असर होगा. हम अपनी अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण कर रहे हैं CJI ने जवाब दिया - हम केवल झारखंड के लिए कह रहे हैं और यदि तथ्य हमारे संज्ञान में लाए जाते हैं, तो हम इसे अन्य क्षेत्रों में भी रोकेंगे. हम पहले तथ्यों को जानना चाहते हैं और हम कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं. 

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री ने नीलामी का समर्थन करते हुए पत्र लिखा, बाद में अदालत में मुकदमा दायर कर दिया. पहले शीर्ष अदालत ने इस संबंध में फैसले पारित किए हैं. CJI ने कहा कि सीएम का पत्र नीलाम करने को लेकर उत्साहित दिख रहा है. हम झारखंड के इरादे और स्टैंड के बारे में निश्चित नहीं हैं. हम तथ्यों का पता लगाना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि तब तक आप रुकें - आपकी समस्या क्या है?" 

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झारखंड सरकार ने केंद्र की परियोजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 18 जून को शुरू की गई 41 कोयला ब्लॉकों की वर्चुअल नीलामी की परियोजना पर झारखंड सरकार ने वाणिज्यिक खनन के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय कोयला मंत्रालय द्वारा कोयला खदानों की प्रस्तावित नीलामी पर फिलहाल रोक लगाने की मांग की है.