दिल्ली सरकार Vs एलजी मामला: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- LG की नहीं, 'AAP' की दिल्ली, सरकार ही असली 'बॉस'

दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुना दिया है.

दिल्ली सरकार Vs एलजी मामला: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- LG की नहीं, 'AAP' की दिल्ली, सरकार ही असली 'बॉस'

अनिल बैजल और अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

खास बातें

  • मंत्री-परिषद के पास फैसले लेने का अधिकार है
  • संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया
  • हर मामले में LG की सहमति जरूरी नहीं
नई दिल्ली:

दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने मुख्य फैसले में कहा कि चुनी हुई सरकार लोकतंत्र में अहम है, इसलिए मंत्री-परिषद के पास फैसले लेने का अधिकार है. पीठ ने यह भी कहा कि एलजी के पास कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं है. संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि हर मामले में LG की सहमति जरूरी नहीं, लेकिन कैबिनेट को फैसलों की जानकारी देनी होगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, हमने सभी पहलुओं - संविधान, 239एए की व्याख्या, मंत्रिपरिषद की शक्तियां आदि - पर गौर किया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि दिल्ली की असली बॉस चुनी हुई सरकार ही है यानी दिल्ली सरकार. बता दें कि दिल्ली सरकार बनाम उप राज्यपाल के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 11 याचिकाएं दाखिल हुई थीं. 6 दिसंबर 2017 को मामले में पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था.
 

दिल्ली सरकार Vs LG मामला LIVE UPDATES: 


- आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि लैंड, पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर सरकार के अधीन नहीं आएंगे. इन तीन विषयों को छोड़कर चाहे वह बाबुओं के ट्रांसफर का मसला या और नई शक्तियां हों, वह सारी शक्तियां अब दिल्ली सरकार के अधीन आ जाएंगी. 
 

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

- दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली की जनता का एक ऐतिहासिक फैसला था, आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक और महत्वपूर्ण फैसला दिया है. मैं दिल्ली की जनता की तरफ से इस फैसले के लिए धन्यवाद करता हूं, जिसमे माननीय न्यायालय ने जनता को ही सर्वोच्च बताया है. LG को मनमानी का अधिकार नहीं, दिल्ली सरकार के काम को रोका जा रहा था. 

- चीफ जस्टिस ने कहा कि संघीय ढांचे में absolutism और अनार्की की कोई जगह नहीं.

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई फैसला लेने से पहले LG की अनुमति लेने की जरूरत नहीं, सिर्फ सूचना देने की जरूरत. साथ ही कोर्ट ने कहा कि छोटे-छोटे मामलों में में मतभेद ना हो. राय में अंतर होने पर राष्ट्रपति को मामला भेजें LG.

- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत हुई है. लोकतंत्र के लिए बड़ी जीत है.

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार और LG के बीच राय में अंतर वित्तीय, पॉलिसी और केंद्र को प्रभावित करने वाले मामलों में होनी चाहिए.

- संविधान पीठ का मुख्य फैसला: चुनी हुई सरकार लोकतंत्र में अहम है, इसलिए मंत्रीपरिषद के पास फैसले लेने का अधिकार

- संविधान पीठ का सर्वसम्मति से फैसला: LG की सहमति जरूरी नहीं, लेकिन कैबिनेट को फैसलों की जानकारी देनी होगी. 

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में रियल पावर चुने हुए प्रतिनिधियों में होनी चाहिए. 

-  जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि एलजी को दई गई एड एंड एडवाइस एलजी पर बाध्यकारी नहीं.

- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि LG को ये ध्यान में रखना चाहिए कि फैसले लेने के लिए कैबिनेट है, वह नहीं.

- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोकतंत्र में रियल पावर चुने हुए प्रतिनिधियों में होनी चाहिए. विधायिका के प्रति वो जवाबदेह हैं. लेकिन दिल्ली के स्पेशल स्टेटस को देखते हुए बैलेंस बनाना जरूरी है. मूल कारक ये है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है.

- CJI व दो अन्य न्यायमूर्तियों ने कहा, LG सीमित सेंस के साथ प्रशासक हैं, वह राज्यपाल नहीं हैं. LG एक्समेंटेड क्षेत्रों को छोड़कर बाकी मामलों में दिल्ली सरकार की 'एड एंड एडवाइस' मानने के लिए बाध्य हैं.

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूमि, पुलिस और लॉ एंड आर्डर को छोडकर जो केंद्र का एक्सक्लूसिव अधिकार हैं, दिल्ली सरकार को अन्य मामलों में कानून बनाने और प्रशासन करने की इजाजत दी जानी चाहिए. LG मशीनी तरीके से फैसलों को नहीं रोक सकते.

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि LG मैकेनिकल तरीके से सारे मामलों को राष्ट्रपति को नहीं भेजेंगे. इससे पहले वो अपना दिमाग लगाएंगे. सरकार के प्रतिनिधियों को सम्मान दिया जाना चाहिए. 

- चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि राज्य को बिना किसी दखल के कामकाज  की आजादी हो.

- चीफ जस्टिस और दो अन्य जजों ने कहा कि दिल्ली सरकार को हर फैसला एलजी को बताना होगा. हालांकि, हर मामले में एलजी की सहमति जरूरी नहीं. 

- सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और अन्य दो जजों ने कहा कि दिल्ली को राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता.

- सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और अन्य दो जजों ने कहा कि एलजी को दिल्ली सरकार के साथ सौहार्दपूर्वक काम करना चाहिए.

-चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, हमने सभी पहलुओं - संविधान, 239एए की व्याख्या, मंत्रिपरिषद की शक्तियां आदि - पर गौर किया
 
-चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, संविधान का पालन सबका कर्तव्य है, सभी संवैधानिक फंक्शनरीज़ के बीच संवैधानिक भरोसा होना चाहिए, और सभी को संविधान की भावना के तहत काम करना चाहिए.
 
-चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, संविधान के मुताबिक प्रशानिक फैसले भी सबका सामूहिक कर्तव्य, और सभी संवैधानिक पदाधिकारियों को संवैधानिक नैतिकता को बरकरार रखना चाहिए.

- चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने सभी पहलुओं पर गौर किया

-दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा फैसला पढ़ रहे हैं.

दिल्ली का बॉस कौन?

  • 11 याचिकाएं दाख़िल हुई थीं
  • 5 जजों का संविधान पीठ
  • संविधान पीठ ने फ़ैसला सुरक्षित रखा था
  • हाइकोर्ट के फ़ैसले को चुनौती दी गई
  • हाइकोर्ट ने LG को प्रशासनिक प्रमुख कहा था
  • दिल्ली को विशेष राज्य के दर्जे की व्याख्या 
  • अनुच्छेद 239AA के तहत विशेष राज्य 

पांच जजों की बेंच 
  1. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा
  2. जस्टिस एक सीकरी
  3. जस्टिस एएम खानविलकर
  4. जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़
  5. जस्टिस अशोक भूषण 
supreme court

दिल्ली सरकार की दलील
  • LG संविधान का मज़ाक बना रहे हैं  
  • असंवैधानिक तरीक़े से काम कर रहे हैं LG
  • क़ानूनन LG के पास कोई शक्ति नहीं 
  • LG फ़ाइलों को राष्ट्रपति के पास नहीं भेजते
  • LG ख़ुद ही फ़ैसले कर रहे हैं 
  • IPS, IAS किस विभाग में काम करें, ये सरकार तय करे
  • LG सरकार के अधीनस्थ नियुक्तियों की फ़ाइल ले लेते हैं 
  • नियुक्तियां कौन करेगा, कई मामले लंबित
  • कई योजनाओं की फ़ाइल पास नहीं कर रहे
  • काम के लिए अफ़सरों के पास भागना पड़ता है

केंद्र की दलील
  • दिल्ली में सारे प्रशासनिक अधिकार LG को
  • दिल्ली सरकार को अधिकार दिए तो अराजकता फैलेगी
  • दिल्ली राजधानी है, पूरे देश के लोगों की है
  • केंद्र में देश की सरकार इसलिए दिल्ली पर केंद्र का अधिकार
  • दिल्ली में जितनी भी सेवाएं हैं, केंद्र के अधीन हैं
  • ट्रांसफर, पोस्टिंग का अधिकार केंद्र के पास
  • मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य नहीं LG
  • चुनी हुई सरकार सभी मुद्दों पर LG से सलाह करे
  • दिल्ली में केंद्र अपना शासन चलाए ये अलोकतांत्रिक नहीं 

दिल्ली हाइकोर्ट फ़ैसला (4 अगस्त 2016)
  • आर्टिकल 239A के तहत दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश
  • LG ही दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख
  • LG मंत्रिमंडल की सलाह, फ़ैसले मानने को बाध्य नहीं
  • किसी फ़ैसले से पहले LG की मंज़ूरी ज़रूरी
  • अधिकारियों की नियुक्ति, तबादले केंद्र के पास
  • नियुक्ति, तबादले दिल्ली सरकार के अधिकार से बाहर
  • हाइकोर्ट ने सरकार के कई फ़ैसले अवैध क़रार दिए 

क्या है संविधान का अनुच्छेद 239AA 
  • दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश
  • दिल्ली की अपनी विधानसभा, अपना मुख्यमंत्री
  • प्रशासक उपराज्यपाल होंगे 
  • उपराज्यपाल राष्ट्रपति की ओर से काम करेंगे 
  • विधानसभा के पास भूमि, लॉ एंड ऑर्डर, पुलिस अधिकार नहीं 
  • सीएम, मंत्रिमंडल की मदद और सलाह से फ़ैसला करेंगे LG
  • कहीं ये नहीं लिखा कि LG सलाह मानने को बाध्य 
  • असहमति पर मामला राष्ट्रपति के पास जाएगा
  • राष्ट्रपति का फ़ैसला बाध्यकारी होगा
VIDEO: एलजी सर्वेसर्वा नहीं, चुनी हुई सरकार लोकतंत्र में अहम- सुप्रीम कोर्ट

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