जब वक्त मांग रहे शशिकला के वकील से सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'Immediately' का मतलब जानते हैं आप

जब वक्त मांग रहे शशिकला के वकील से सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'Immediately' का मतलब जानते हैं आप

शशिकला (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज शशिकला को राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने उन्हें तुरंत सरेंडर करने को कहा. शशिकला की तरफ से वकील केटीएस तुलसी ने कोर्ट से कहा कि उन्हें और समय की जरूरत है. इस पर कोर्ट ने कहा- हम और कोई नया आदेश आज पास नहीं करना चाहते. हमने अपने जजमेंट में सारी बातें पहले ही कह दी हैं. किसी भी तरह से जजमेंट में कोई बदलाव नहीं होगा. आप Immediately (तुरंत) का मतलब जानते हैं. दरअसल, इन्हीं जजों की बेंच ने शशिकला के खिलाफ फैसला सुनाया था.

शशिकला को 4 साल की सजा
आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को दोषी करार देते हुए चार साल की सजा सुनाई है. अब वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगी. इस मामले में कोर्ट ने शशिकला पर 10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है. अब शशिकला को जेल जाने के लिए तुरंत सरेंडर करना होगा और वह 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी. इसी मामले में शशिकला के दो रिश्तेदार इलावरसी और सुधाकरण को भी कोर्ट ने दोषी पाया है और इन्हें भी चार साल की सजा सुनाई गई है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ 21 साल पुराने 66 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने शशिकला और जयललिता को 2015 में बरी कर दिया था. कर्नाटक सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

समझें पूरा मामला
1991-1996 के बीच जयललिता के मुख्यमंत्री रहते समय आय से अधिक 66 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित करने के मामले में  सितंबर 2014 में बेंगलुरु की स्पेशल कोर्ट ने जयललिता, शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को चार साल की सजा और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. इस मामले में शशिशकला को उकसाने और साजिश रचने की दोषी करार दिया गया था. लेकिन मई, 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने जयललिता और शशिकला समेत सभी को बरी कर दिया था. इसके बाद कर्नाटक सरकार, डीएमके और सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने चार महीने की सुनवाई के बाद पिछले साल जून में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक सरकार की दलील थी कि हाईकोर्ट का फैसला गलत है और हाईकोर्ट ने बरी करने के फैसले में मैथमैटिकल एरर किया है. सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के फैसले को पलटना चाहिए ताकि ये संदेश जाए कि जनप्रतिनिधि होकर भ्रष्टाचार करने पर कड़ी सजा मिल सकती है.


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