कावेरी मुद्दे पर कर्नाटक से सहानुभूति, लेकिन SC का आदेश मानना ही होगा : स्वराज कौशल

कावेरी मुद्दे पर कर्नाटक से सहानुभूति, लेकिन SC का आदेश मानना ही होगा : स्वराज कौशल

अपनी पत्नी तथा विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के साथ वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर दो राज्यों - कर्नाटक और तमिलनाडु - में पिछले कई दिनों से आग सुलग रही है, और यहां तक कि कर्नाटक ने तमिलनाडु को पानी देने के देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश को नहीं मानने का फैसला भी कर लिया है. कावेरी जल विवाद नया भी नहीं है, और इसे लेकर हिंसा भी पहली बार नहीं हो रही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना ऐसी घटना है, जो भारतीय राज्यों के इतिहास में आमतौर पर देखने को नहीं मिलती हैं.

इस बार भी कर्नाटक से सहानुभूति जताने वाले बहुत-से लोग मिल रहे हैं, जिनका कहना है कि कर्नाटक के पास अपने नागरिकों के लिए पेयजल की भी कमी है, और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हे तमिलनाडु की फसलों के लिए पानी देने का आदेश दे दिया है, लेकिन कर्नाटक के पक्ष को समझने और उनकी समस्या से सहानुभूति जताने वाले भी राज्य द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने के फैसले को गलत ही ठहरा रहे हैं.

इसी मामले पर सोमवार को विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के पति, मिज़ोरम के पूर्व राज्यपाल तथा वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल ने भी माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर कई पोस्ट में लिखा, "मैं 1983-84 में कावेरी विवाद पर याचिका दायर किए जाते वक्त कर्नाटक का वकील था... मैंने फली नरीमन को कर्नाटक की ओर से नेतृत्व करने के लिए चुना... मैं कर्नाटक के पक्ष का समर्थन करता हूं, लेकिन कोई भी राज्य सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कैसे नहीं करेगा...?"
 


आगे के ट्वीट में स्वराज ने लिखा, "जस्टिस कुलदीप सिंह कहा करते थे, भले ही हमारा फैसला आपको फूटी आंख न भाए, लेकिन आपको उसे मानना ही होगा..." उन्होंने आगे लिखा, "कावेरी ट्रिब्यूनल सारे मामले पर गौर कर चुका है... आदेश यदि गलत लगते हैं, तो उन्हें बदला जा सकता है, लेकिन उन्हें नकारा नहीं जा सकता... वरना अराजकता फैल जाएगी..."
 

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