टाटा करेगा संसद की नई बिल्डिंग का निर्माण, 861.90 करोड़ रुपये में कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया

सीपीडब्‍ल्‍यूडी ने नए संसद भवन के निर्माण में 940 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान जताया था. नई बिल्डिंग को त्रिकोणाकार में डिजाइन किया जाएगा. मौजूदा संसद की बिल्डिंग का निर्माण ब्रिटिशकाल में किया गया था और यह वृत्‍ताकार है.

टाटा करेगा संसद की नई बिल्डिंग का निर्माण,  861.90 करोड़ रुपये में कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया

प्रोजेक्‍ट के एक वर्ष में पूरे होने की संभावना है

खास बातें

  • बोली में लार्सन एंड टुब्रो को को पीछे छोड़ा
  • निर्माण एक वर्ष में पूरा होने की संभावना
  • ब्रिटिश काल में हुआ था मौजूदा संसद बिल्डिंग का निर्माण
नई दिल्ली:

संसद की नई बिल्डिंग (New Parliament Puilding) का निर्माण टाटा प्रोजेक्‍ट्स (Tata Projects) द्वारा 861.90 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा. टाटा ने निर्माण के लिए लगाई गई बोली में लार्सन एंड टुब्रो (Larsen and Toubro)को पछाड़ा जिसने 865 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने नए संसद भवन के निर्माण के लिए आई बोलियों को आज खोला जिसमें फैसला टाटा के पक्ष में आया. प्रोजेक्‍ट के एक वर्ष में पूरे होने की संभावना है. सीपीडब्‍ल्‍यूडी ने नए संसद भवन के निर्माण में 940 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान जताया था.

देश को मिलने जा रहा है नया संसद भवन, जानिए मोदी सरकार का 'ड्रीम प्लान'

जानकारी के अनुसार नई बिल्डिंग को त्रिकोणाकार में डिजाइन किया जाएगा. मौजूदा संसद की बिल्डिंग का निर्माण ब्रिटिशकाल में किया गया था और यह वृत्‍ताकार है.देश को आजाद हुए 75 साल होने वाले हैं और देश का संसद भवन (Parliament Building) अब काफी पुराना हो चुका है. उसमें अलग-अलग तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं. मोदी सरकार का इरादा है कि जब देश 15 अगस्त 2022 को अपनी आजादी की 75 की वर्षगांठ मना रहा हो तब सांसद नए संसद भवन में बैठें. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, मौजूदा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू नए संसद भवन की जरूरत को लेकर वकालत कर चुके हैं. जानकारी  के अनुसार, मोदी सरकार (Modi Government) ने इस पर अपना एक ड्रीम प्लान तैयार कर लिया है. जिस पर अब वह तेजी से आगे बढ़ने की मंशा रखती है. इस प्लान के तहत केवल संसद नहीं बल्कि केंद्र दरकार के सारे मंत्रालय और दफ़्तर भी शामिल हैं.

गौरतलब है कि मौजूदा संसद भवन 1911 में बनना शुरू हुआ था. तब अंग्रेजों के शासन के दौर में दिल्ली राजधानी बनी थी. सन 1927 में संसद भवन का उद्घाटन हुआ था. लेकिन आज के समय के हिसाब से संसद भवन में काफी समस्याएं देखी जाने लगी हैं. सबसे बड़ी समस्या है कि संसद में मंत्रियों के बैठने के लिए तो चैम्बर हैं लेकिन सांसदों के लिए नहीं हैं. साथ ही बिजली सप्लाई का सिस्टम भी पुराना है, जिसके चलते शॉर्ट सर्किट की समस्या होती रहती है.

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