वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी लोकसभा में ला सकती है अविश्वास प्रस्ताव, लेकिन यहां फंसा है पेंच 

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने के पार्टी या पार्टियों का नोटिस तभी स्वीकार किया जाता है जब उनके समर्थन में 50 सदस्य हों.

वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी लोकसभा में ला सकती है अविश्वास प्रस्ताव, लेकिन यहां फंसा है पेंच 

प्रतीकात्मक चित्र

खास बातें

  • पिछले सप्ताह हंगामे की वजह से नहीं स्वीकार हुआ था नोटिस
  • मोदी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाना चाहती है टीडीपी
  • प्रस्ताव स्वीकार होने के लिए समर्थन में 50 सदस्य होने जरूरी
नई दिल्ली:

टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस लोकसभा में आज मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. वाईएसआर कांग्रेस के वाई वी सुब्बा रेड्डी ने लोकसभा सचिवालय को आज की संशोधित कार्य सूची में उनका नोटिस रखने के लिए पत्र भी लिखा है. वहीं टीडीपी ने भी अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है. गौरतलब है कि संसदीय कार्य अनंत कुमार ने कहा था कि पिछले सप्ताह संसद में हुए हंगामे की वजह से ही यह नोटिस नहीं दिया जा सका था. हालांकि इन पार्टियों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग को झटका लग सता है.

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दरअसल, लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने के पार्टी या पार्टियों का नोटिस तभी स्वीकार किया जाता है जब उनके समर्थन में 50 सदस्य हों. फिलहाल संसद में टीडीपी और वाईएसआर के पास यह आंकड़ा नहीं है. यही वजह है कि सरकार ने भरोसा जताया है कि नोटिस स्वीकार कर लिए जाने पर भी लोकसभा में उसकी संख्या बल के कारण प्रस्ताव औंधे मुंह गिर जाएगा. लोकसभा में मौजूदा सदस्यों की संख्या 539 है और सत्तारूढ़ भाजपा के274 सदस्य हैं. यह बहुमत से अधिक है और पार्टी को कई घटक दलों का समर्थन भी है.

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विधायी कार्यों पर सरकार के साथ अक्सर सहयोग करने वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति और अन्नाद्रमुक कई मुद्दों पर विरोध कर रही है इसलिए इस पर अनिश्चितता ही है कि आज व्यवस्था बन पाएगी. ध्यान हो कि बजट सत्र के अंतिम चरण का पहला दो हफ्ता बीत चुका है हालांकि सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक लाने और बिना चर्चा के ध्वनिमत के जरिए बजट पारित कराने में कामयाब रही. केंद्र की ओर से आंध्रप्रदेश को विशष दर्जा दिए जाने से इंकार के बाद सबसे पहले वाईएसआर कांग्रेस ने पिछले सप्ताह अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था.

VIDEO: टीडीपी के नेताओं ने की विशेष बैठक.


मुद्दे पर भाजपा की लंबे समय से सहयोगी रही टी़डीपी ने इसके बाद सरकार से खुदको अलग कर लिया था. दोनों पार्टियां अपने- अपने नोटिसों पर समर्थन जुटाने के लिए विपक्षी दलों को लामबंद कर रही हैं. (इनपटु आईएएनएस से)  


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