यह ख़बर 07 अक्टूबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

तेलंगाना मुद्दा : नायडू दिल्ली में अनशन पर, सीमांध्र में उबाल

खास बातें

  • आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य गठन के फैसले के विरोध में सीमांध्र में चल रहे तीव्र विरोध की वजह से सोमवार को जनजीवन प्रभावित रहा। बिजलीकर्मियों की हड़ताल के चलते कई इलाके अंधेरे में रहे, बिजली के अभाव में रेलवे को कई रेलगाड़ियां रद्द करनी पड़ी।
नई दिल्ली:

आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य गठन के फैसले के विरोध में सीमांध्र में चल रहे तीव्र विरोध की वजह से सोमवार को जनजीवन प्रभावित रहा। बिजलीकर्मियों की हड़ताल के चलते कई इलाके अंधेरे में रहे, बिजली के अभाव में रेलवे को कई रेलगाड़ियां रद्द करनी पड़ी।

आंध्र प्रदेश विभाजन के विरोध में हैदराबाद में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी प्रमुख जगनमोहन रेड्डी का अनशन तीसरे दिन भी जारी रहा। वहीं तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार से नई दिल्ली में अनशन शुरू किया। उन्होंने कांग्रेस पर तेलंगाना मसले को लेकर राजनीति खेलने का आरोप लगाया। नायडू ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि वह पृथक तेलंगाना के पक्ष में हैं या संयुक्त आंध्र प्रदेश के पक्ष में। उन्होंने सिर्फ यह कहा, "हम दोनों क्षेत्रों के लोगों के लिए न्याय चाहते हैं।"

यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी किस तरफ है, नायडू सीधा जवाब देने से कतरा गए और प्रतिप्रश्न किया, "यदि आपके पास दो बच्चे हैं तो आप किसे चुनेंगे?" नायडू ने कांग्रेस पर लोगों को बांटने का आरोप लगाया।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, "कांग्रेस पार्टी पूरी तरह राजनीति खेल रही है। उन्हें आम आदमी की पीड़ाओं का ख्याल नहीं है। वे अधिकतम वोट जुटाना चाहते हैं।"

नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश 'इमोबाइलिज्मो' (अंग्रेजी के इमोबाइल के लिए इटैलियन शब्द) की स्थिति में आ गया है यानी ठहर-सा गया है। उन्होंने कहा, "मैं इटली की भाषा में इसलिए बोल रहा हूं ताकि कांग्रेस सरकार यहां इसे आसानी से समझ सके।"

नायडू ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस निर्णय पर अन्य पार्टियों से चर्चा नहीं की। उन्होंने सवाल किया, "वे सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुला रहे हैं? एक राज्य का गठन क्या कांग्रेस का आंतरिक निर्णय है?"
 
नायडू ने कहा, "लोकतंत्र का मतलब है कि अगर कोई समस्या है तो उस पर बहस, बातचीत होनी चाहिए और अंततोगत्वा उसका कोई समाधान तो निकालना ही होता है।" उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के लोगों का राजनीतिक व्यवस्था से विश्वास उठ रहा है। नायडू ने कहा, "सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी यह सब भूल गई है। वे कोई समाधान नहीं ढूंढ रहे। दूसरी तरफ वे समस्या खड़ी कर रहे हैं।"

यहां आंध्र भवन में नायडू का उपवास ऐसे समय में शुरू हुआ है, जब वाईएसआर कांग्रेस के नेता वाईएस जगनमोहन रेड्डी संयुक्त आंध्र प्रदेश की मांग को लेकर हैदराबाद में बेमियादी अनशन पर हैं।
 
उधर, कांग्रेस पार्टी ने तेलंगाना के निर्माण के अपने फैसले का बचाव करते हुए सोमवार को कहा कि केवल मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को छोड़कर सभी दलों ने आंध्र प्रदेश के विभाजन का समर्थन किया था।

कांग्रेस महासचिव और आंध्र प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने कहा, "तेलंगाना मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक के दौरान माकपा को छोड़कर सभी दलों ने आंध्र प्रदेश के विभाजन का समर्थन किया था।" उनका यह बयान आंध्र प्रदेश के विभाजन के विरोध में चंद्रबाबू नायडू द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में अनशन शुरू किए जाने के थोड़ी ही देर बाद आया।

दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि तेलंगाना के समर्थन में चंद्रबाबू का लिखा एक पत्र उनके पास है।

आंध्र प्रदेश के विभाजन को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शनों एवं हिंसक घटनाओं को देखते हुए दिग्विजय सिंह ने आंध्र प्रदेश के सीमांध्र क्षेत्र के लोगों को आश्वस्त किया है कि सुरक्षा, शिक्षा एवं हैदराबाद में रोजगार जैसे मुद्दों का ध्यान रखा जाएगा।

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दिग्विजय सिंह ने सोमवार को अपने ट्विटर खाते पर की गई टिप्पणी में कहा, "मैं सीमांध्र के सभी लोगों को हैदराबाद में सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं विकास योजनाओं से जुड़ी उनकी वाजिब चिंताओं के प्रति उन्हें आश्वस्त करता हूं।"