यह ख़बर 29 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

तेलंगाना के कांग्रेस सांसदों ने इस्तीफा देने का निर्णय टाला

खास बातें

  • आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के सात सांसदों ने अपने इस्तीफे भेजने के निर्णय को एक दिन के लिए टाल दिया, क्योंकि बताया जाता है कि इस मुद्दे पर वे अपने मतभेद दूर नहीं कर पाए हैं।
हैदराबाद:

आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के सात सांसदों ने अपने इस्तीफे भेजने के निर्णय को एक दिन के लिए टाल दिया, क्योंकि बताया जाता है कि इस मुद्दे पर वे अपने मतभेद दूर नहीं कर पाए हैं। इन सांसदों ने लोकसभा एवं पार्टी, दोनों से इस्तीफे भेजने का निर्णय किया था।

बहरहाल, पार्टी सांसदों ने संवाददाताओं से कहा कि वे अपने कदम को आगे बढ़ाएंगे तथा कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंपने के लिए वे कल नई दिल्ली पहुंच जाएंगे।

सांसद पी पोन्नम प्रभाकर, गुट्टा सुखेन्द्र रेड्डी एवं अन्य ने कहा, ये खबरें सही नहीं हैं कि हमारे बीच और तेलंगाना के मंत्रियों के बीच भी मतभेद हैं। हमारा एकमात्र मकसद राज्य का गठन है और हमें एकजुट होकर अपनी योजना पर आगे बढ़ना होगा। सांसदों ने सोमवार को घोषणा की थी कि वे अपना इस्तीफा तथा उसका कारण बताते हुए एक पत्र सोनिया गांधी को आज भेजेंगे।

लेकिन बताया जाता है कि कुछ सांसदों ने निर्णय से असहमति जताई, क्योंकि पार्टी को छोड़ने से कोई मतलब नहीं मिलेगा और आशंका जताई कि यह मकसद के विपरीत भी हो सकता है।

पार्टी सू़त्रों ने बताया कि मंत्रियों द्वारा पद नहीं छोड़ने के फैसले से भी सांसद दोबारा सोचने को मजबूर हुए हैं। इन खबरों तथा तेलंगाना संयुक्त कार्रवाई समिति द्वारा कांग्रेस नेताओं को निशाना बनाने के निर्णय के बीच सांसदों की बैठक पूर्व सांसद के केशव राव के घर आज दूसरे दिन हुई।

सांसदों ने बाद में बाहर आकर घोषणा की कि उन्होंने कठोर कदम उठाने का निर्णय किया है, क्योंकि पार्टी राज्य के मुद्दे पर हीलहवाला कर रही है।

केशव राव ने कहा, कोई ऐसी सूरत नहीं बची है कि हम कांग्रेस में बने रहें। हमारे इस्तीफे का एक कारण है। यह कारण हमारी पार्टी और उसके शीर्ष नेता हैं। प्रभाकर ने ध्यान दिलाया कि वह शुरू से ही पार्टी के वफादार रहे हैं, लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि उन्हें पूरी तरह से नीचे दिखाया जा रहा है।

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उन्होंने कहा, यदि आंध्र प्रदेश में पार्टी की सरकार चल रही तो वह केवल तेलंगाना के विधायकों के कारण। वे पार्टी के वफदार बने हुए है जबकि वे अलग राज्य के लिए भी लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन अब हम कठोर निर्णय के लिए मजबूर हो गए हैं।