3 करोड़ के संपत्ति विवाद में टेलीविस्टा कंपनी के मालिक की हत्या, 5 लोग गिरफ्तार

टीवी बनाने वाली कंपनी टेलीविस्टा के मालिक अरुण शर्मा को अगवा कर चलती कार में गला घोंटकर उनकी हत्या कर दी गयी.

3 करोड़ के संपत्ति विवाद में टेलीविस्टा कंपनी के मालिक की हत्या, 5 लोग गिरफ्तार

अरुण शर्मा

खास बातें

  • टेलीविस्टा कंपनी के मालिक की हत्या
  • 3 करोड़ के संपत्ति विवाद में हुई हत्या
  • दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया
नई दिल्ली:

टीवी बनाने वाली कंपनी टेलीविस्टा के मालिक अरुण शर्मा को अगवा कर चलती कार में गला घोंटकर उनकी हत्या कर दी गयी और शव को यूपी के झांसी में फेंक दिया गया. इस मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. हत्या के पीछे की वजह 3 करोड़ रुपए की संपत्ति का विवाद है. क्राइम ब्रांच के डीसीपी जॉय टिर्की के मुताबिक 15 नवंबर को 64 साल के अरुण शर्मा कैलाश कॉलोनी में अपने घर से सुबह करीब 8:30 बजे गुरुग्राम जाने के लिए निकले. वहां उन्हें एक संपत्ति विवाद की सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंचना था. रास्ते में एमजी रोड मेट्रो स्टेशन पर सुबह 10 बजे उन्हें अपने वकील से भी मिलना था लेकिन वो वहां नहीं पहुंचे. 

3 करोड़ का संपत्ति विवाद

अरुण की बहन शशिकिरण ने बताया कि गुरुग्राम में अरुण शर्मा का ऋषिराज चौहान से एक संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था. दरअसल 2009 में गुरुग्राम के सेक्टर 17 में अरुण शर्मा ने ऋषिराज चौहान से एक संपत्ति खरीदी थी लेकिन उस पर अब भी कब्जा ऋषिराज का था. ये विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और इसी साल सितंबर में अरुण शर्मा के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. इसी मामले में 15 नवंबर को गुरुग्राम कोर्ट संपत्ति पर अरुण शर्मा को कब्ज़ा देने के लिए आदेश देने वाला था. इस संपत्ति की कीमत 3 करोड़ से ज्यादा है. 

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लेकिन 15 नवंबर को ही अरुण शर्मा अचानक गायब हो गए. 16 नवंबर को अरुण शर्मा के घरवालों ने ग्रेटर कैलाश पुलिस स्टेशन में ऋषिराज पर अगवा करने का शक जताते हुए केस दर्ज कराया लेकिन स्थानीय पुलिस जब अरुण शर्मा का पता नहीं लगा पायी तो अरुण के घरवालों ने पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक से मिलकर कार्रवाई की मांग की. 

27 नवंबर को मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई. क्राइम ब्रांच ने जब जांच शुरू की तो अरुण शर्मा के घर के आसपास सीसीटीवी फुटेज में 2 संदिग्ध और एक सफेद रंग की महिंद्रा कार दिखाई दी. हालांकि कार का रजिस्ट्रेशन नम्बर फर्जी निकला. जब 4 दिसंबर को क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने ऋषिराज से सख्ती से पूछताछ की तो उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया. उसने बताया कि हत्या में उसका बेटा भी शामिल है और 3 लोगों को हत्या की सुपारी दी गयी. क्राइम ब्रांच ने सभी 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. स्कोर्पियो कार और आरोपियों के मोबाइल भी बरामद कर लिए गए.

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कभी दोस्त थे अरुण और ऋषिराज

आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि ऋषिराज चौहान और अरुण शर्मा एक दूसरे को बहुत पहले से जानते थे. दिल्ली के कैलाश कॉलोनी में आने के पहले अरुण भी गुरुग्राम में रहते थे और ऋषिराज के साथ मिलकर रियल स्टेट का कारोबार करते थे. ऋषिराज एक डॉक्टर है और उसका गुरुग्राम में एक क्लीनिक और एक पेइंग गेस्ट हाउस भी है. लेकिन ये सारी संपत्ति अरुण शर्मा के नाम थी. कोर्ट के आदेश के हिसाब से ऋषिराज को इस संपत्ति को 15 नवंबर को खाली करना था.

25 लाख में हत्या की सुपारी

इसी साल अक्टूबर के महीने में ऋषिराज ने अपनी परेशानी अपने एक दोस्त हर्ष छाबड़ा को बताई. ऋषिराज ने कहा कि वो अरुण की हत्या करवाना चाहता है. हर्ष ने बताया कि उसकी परेशानी दूर हो जाएगी लेकिन उसे 25 लाख रुपये खर्च करने होंगे. ऋषि इसके लिए तैयार हो गया. हर्ष ने अपने बेटे सोनू को ऋषिराज के घर अरुण के बारे में पूरी जानकारी लेने के लिए भेजा. सोनू अपने चचेरे भाई प्रियांक खन्ना को भी साथ ले गया और उनकी मुलाकात ऋषिराज और उसके बेटे हितेश चौहान से हुई. सोनू का गुरुग्राम में पावर बैकअप इन्वर्टर और जनरेटर का कारोबार है. सोनू ने अरुण की हत्या के लिए अपने चचेरे भाई प्रियांक और अपनी शॉप में जेनरेटर ऑपरेटर के तौर पर काम कर चुके साहिल को तैयार किया. हत्या का सौदा 25 लाख में तय हुआ और हितेश ने 1 लाख रुपये एडवांस भी दे दिया. 

कैसे की हत्या

प्लान के मुताबिक हितेश सभी आरोपियों को साथ लेकर 31 अक्टूबर को दिल्ली के संसद मार्ग में जीवन तारा बिल्डिंग ले गया जहां अरुण शर्मा भी आने वाले थे. वहीं इशारा कर हितेश ने सभी आरोपियों को अरुण शर्मा की पहचान करवा दी. उसके बाद सभी अरुण का पीछा करते हुए उनके घर तक रेकी करने गए. 14 नवंबर को स्कॉर्पियो कार के लिए फर्ज़ी नम्बर प्लेट तैयार करवाई गई और 14 नवंबर की रात सोनू, प्रियांक और साहिल सोनू के गुरुग्राम के ऑफिस में ही रुके. 15 नवंबर की सुबह 4 बजे वो स्कोर्पियो कार से निकले और सुबह 5 बजे कैलाश कॉलोनी पहुंच गए. सोनू कार के अंदर बैठा रहा जबकि प्रियांक और साहिल कार के बाहर थे. 

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सुबह करीब 9 बजे जैसे ही अरुण शर्मा कैलाश कॉलोनी मेट्रो स्टेशन के नज़दीक पहुंचे. साहिल और प्रियांक ने अरुण को खींचकर कार की पिछली सीट पर डाल दिया. सोनू गाड़ी चला रहा था. इससे पहले कि अरुण शोर मचा पाते प्रियांक और साहिल ने एक शॉल ने अरुण शर्मा का चलती कार में गला घोंट दिया. इसके बाद कुछ ही दूरी पर अरुण शर्मा के मोबाइल की सिम निकालकर मोबाइल भी फेंक दिया. 

हत्या के बाद सुबह 9 बजकर 20 मिनट पर हितेश ने सोनू को फोन किया. सोनू ने बताया कि काम हो चुका है. सबूत के तौर पर सोनू ने हितेश के मोबाइल पर अरुण शर्मा के शव की फोटो भी भेजी. लेकिन हितेश अरुण शर्मा के शव को अपनी आंखों से देखना चाहता था इसलिए उसने सोनू से कहा कि शव को लेकर गुरुग्राम के झाड़सा चौक में मिलो. सोनू शव को लेकर झाड़सा चौक पहुंचा. जहां हितेश ने शव को देखा और फिर तीनों आरोपियों से कहा कि शव को यूपी में कहीं ठिकाने लगा दो. 

सोनू ने कार की फर्जी नम्बर प्लेट हटाकर असली नम्बर प्लेट लगाई और फिर शव लेकर वो झांसी पहुंच गए. रास्ते में पलवल के पास उन्होंने अरुण के पहचान पत्र और बैंक कार्ड फेंक दिए. लेकिन संपत्ति विवाद से जुड़ी फाइल उन्होंने फेंकने की बजाय अपने पास रख ली. अरुण का शव झांसी के पास एक नाले में फेकने के बाद वो वापस गुरुग्राम लौट आये और 16 नवंबर को उन्होंने अपनी स्कोर्पियो कार सर्विस सेंटर में धुलवाई. आरोपियों में ऋषिराज डॉक्टर है. उसका बेटा हितेश एमबीए करने के बाद एलएलबी कर रहा है. सोनू की जनरेटर की शॉप है. साहिल और प्रियांक सोनू की दुकान में काम करते हैं. 

कौन हैं अरुण शर्मा

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अरुण शर्मा अपने पिता के साथ पहले टेलीविस्टा इलेक्ट्रॉनिक्स नाम की कंपनी चलाते थे,लेकिन जब कंपनी घाटे में जाने लगी तो अरुण शर्मा ने एमसी इलेक्ट्रॉनिक्स नाम की नई कंपनी बनाकर कारोबार शुरू किया,हालांकि पिछले 10 साल से वो कंपनी में सक्रिय तौर पर नहीं जुड़े थे लेकिन कंपनी के बोर्ड में निदेशक थे,2 साल पहले उनकी पत्नी की मौत हो गयी,अरुण शर्मा की एक बेटी है जो गुरुग्राम में पढ़ाई कर रही है