गोवा में पीएम मोदी ने कहा- आतंकवाद पाकिस्तान की 'सबसे प्यारी औलाद'

गोवा में पीएम मोदी ने कहा- आतंकवाद पाकिस्तान की 'सबसे प्यारी औलाद'

खास बातें

  • आतंकवाद की निंदा के दिन लदे, अब कार्रवाई की जरूरत
  • पाकिस्तान आतंकवाद के अंधेरे को गले लगाता और फैलाता है
  • आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों को सजा मिले
गोवा:

ब्रिक्स देशों की बैठक खत्म हो गई है. दो दिनों तक चली इस बैठक में भारत ने आतंकवाद के मुद्दे को जोरशोर से उठाया. प्रधानमंत्री मोदी ने नाम लिए बगैर पाकिस्तान को आतंक की जन्मभूमि बताया और कहा कि यह देश न सिर्फ़ आतंक को पनाह देता है बल्कि इसकी मानसिकता को भी पालता है. डिक्लरेशन में सामूहिक तौर पर आतंकवाद की निंदा की गई और दुनिया के देशों से इसके खिलाफ एकजुट होने की अपील की गई.

पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद की ‘जननी’ (मदरशिप) करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह समस्या पड़ोसी देश की ‘सबसे प्यारी औलाद’ बन गई है, जिसके खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है, क्योंकि राज्य प्रायोजित आतंकवाद की निंदा के दिन बहुत पहले लद चुके हैं.

पीएम मोदी ने ब्रिक्स एवं बिम्सटेक सम्मेलनों को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के अंधेरे को ‘गले लगाता है और फैलाता’ है. उन्होंने इस समस्या और इसके समर्थकों के खिलाफ ‘समग्र’ एवं ‘सामूहिक’ कार्रवाई की वकालत की और चेताया कि चयनात्मक रवैया अपनाने से कोई फायदा नहीं होने वाला.

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उसकी कड़ी निंदा करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत के पड़ोस में एक देश है, जो न सिर्फ आतंकवादियों को शरण देता है, बल्कि ऐसी सोच को पाल-पोस रहा है जो सरेआम यह कहती है कि राजनीतिक फायदों के लिए आतंकवाद जायज है.

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजीलियाई नेता माइकल टेमर को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया भर के आतंकवाद के मॉड्यूल ‘आतंकवाद के पोषण की इस भूमि’ से जुड़े हुए हैं.

वह चीनी राष्ट्रपति को भी संदेश देते प्रतीत हुए, जिनके देश ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की ओर से वैश्विक आतंकवादी के तौर पर प्रतिबंधित कराने के भारत के कदम में रोड़ा अटका रहा है. मोदी ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वालों को ‘इनाम देने की नहीं बल्कि सजा देने की जरूरत है'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जवाब समग्र होना चाहिए और देशों को इसके विरुद्ध ‘अकेले दम पर और सामूहिक रूप से भी’ कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा, हमारे अपने क्षेत्र में आतंकवाद ने शांति, सुरक्षा और विकास के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है. दुखद है कि इसकी जननी भारत के पड़ोस में एक देश है. दुनियाभर में फैले आतंकवाद के मॉड्यूल इसी भूमि से जुड़े हुए हैं.’

पीएम मोदी ने कहा, यह देश सिर्फ आतंकवादियों को शरण नहीं देता, वह एक सोच को पालता-पोसता है. यह सोच सरेआम यह कहती है कि आतंकवाद राजनीतिक फायदों के लिए जायज है. इस सोच की हम कड़ी निंदा करते हैं. उन्होंने कहा, आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का आधार सिर्फ अपराध होना चाहिए. आतंकवादियों को वित्तपोषण, उनको हथियारों की आपूर्ति, प्रशिक्षण और राजनीतिक सहयोग को व्यवस्थित तरीके अपना कर खत्म किया जाना चाहिए. पीएम मोदी ने ‘कंप्रिहेंसिव कनवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म’ (सीसीआईटी) के जल्द अनुमोदन का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसा करना आतंकवाद की समस्या से लड़ने के हमारे संकल्प को मूर्त रूप प्रदान करने की ओर एक कदम होगा.

बाद में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भौगोलिक बाधाएं और सीमाएं समाज को नुकसान पहुंचाना चाह रहे तत्वों पर कोई बंदिशें नहीं लगा पातीं. उन्होंने कहा, वे न सिर्फ हमारे नागरिकों की जिंदगी को खतरा पहुंचाते हैं, वे आर्थिक समृद्धि की तरफ हमारे कदमों को भी रोक देते हैं.

पाकिस्तान को आड़े हाथ लेते हुए पीएम मोदी ने कहा, आतंकवाद इसकी सबसे प्यारी औलाद बन चुका है और बदले में यह औलाद अपने माता-पिता के मूल चरित्र और प्रकृति को परिभाषित करने लगा है. कार्रवाई की जरूरत पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा, राज्य प्रायोजित आतंकवाद की निंदा करने का वक्त कब का लद चुका है. यह खड़े होने और कार्रवाई करने का वक्त है, और निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है. लिहाजा, ब्रिक्स और बिम्सटेक के लिए जरूरी है कि वे एक समग्र प्रतिक्रिया जाहिर करें, जिससे आतंक के दोषियों के खिलाफ हमारे समाज को सुरक्षित रखा जा सके. ब्रिक्स और बिम्सटेक के नेताओं से अपील करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यहां ‘मौजूद हर किसी को आतंकवाद के दर्शन को पालने-पोसने वालों और मानवता को अमानवीय बनाने की कोशिश करने वालों को यह स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि वे अपने तौर-तरीके सुधारें या इस सभ्य संसार में अलग-थलग हो जाएं.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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