आतंकवाद का जाल : कैसे बनते हैं इस्लामिक स्टेट के रंगरूट?

आतंकवाद का जाल : कैसे बनते हैं इस्लामिक स्टेट के रंगरूट?

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

फ्रांस में आतंकी हमले के बाद एक फिर से सबसे जालिम आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की चर्चा शुरू हो गई है। अमेरिका और फ्रांस ने अब आईएसआईएस को जड़ से खत्म करने का सकंल्प लिया है। भारत ने भी आईएसआईएस के खिलाफ आवाज बुलंद की है। इंटरनेट वह प्रमुख माध्यम है जिसके जरिये भारतीय युवा इस आतंकी संगठन के संपर्क में आ रहे हैं।

देश के 21 युवक आईएसआईएस से जुड़े
इस्लामिक स्टेट के हिमायती भारत में भी कम नहीं हैं। इस्लामिक स्टेट के लिए जंग में शामिल होकर जिंदा लौटा भारतीय युवक आरिब मजीद उनमें से एक है। आरिब के साथ फहाद, अमन तांडेल और शाहीन टंकी भी इराक गए थे। उन तीनों का क्या हुआ ? जिंदा भी हैं या जंग में मारे गए, इसकी अब तक कोई खबर नहीं है। एजेंसियों की मानें तो भारत से  इराक में इस्लामिक संगठन की तरफ से जंग लड़ने गए युवकों में महाराष्ट्र से 4, कर्नाटक से 5,आंध्रप्रदेश से 4, केरल से 4, तमिलनाडु से 3 और जम्मू - कश्मीर से एक यानी कुल 21 भारतीय युवक शामिल हैं। यह युवक इस्लामिक स्टेट से खुद को जोड़ चुके हैं।

वीडियो, भाषण ले जाते हैं आतंक की राह पर
आरिब के कबूलनामे को देखें तो पता लगता है कि उसे आईएस से जुड़ने के लिए देश में किसी ने नहीं उकसाया। उसने इंटरनेट पर जो वीडियो देखे, उसके बाद खुद प्रेरित हुआ। आरिब के मुताबिक इंटरनेट पर तकरीबन 20 हजार ऐसी वेबसाइटें हैं, जिनमें उत्तेजक और भड़काऊ भाषण, कत्लेआम की तस्वीरें और इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों की वीरता दिखाई गई है। आरिब ने अपने बयान में कहा है कि 'मैं इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच जारी जंग को जानने के लिए इंटरनेट की कई साइटें खंगाला करता था। उसी दौरान कई मौलवियों की तकरीरें इंटरनेट पर देखीं और सुनीं। वे मुझ पर गहरा असर कर गईं। इसके चलते मेरा इंजीनियरिंग की पढ़ाई में मन लगना बंद हो गया।'

जहां इंटरनेट की उपलब्धता, वहां आईएस का फैलाव ज्यादा
आरिब मजीद और उसके साथी पढ़े लिखे हैं। इस्लामिक स्टेट का फैलाव उन राज्यों में ज्यादा हुआ है जहां इंटरनेट ज्यादा उपलब्ध है। जानकारों की मानें तो अब तो मोबाइल पर भी कई ऐसे ऐप्लिकेशन उपलब्ध हैं जो युवकों को गुमराह करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की टास्क फोर्स के सदस्य डी शिवानंदन कहते हैं कि अब चुनौती ब्रेनवॉश को रोकने की है। मुंबई पुलिस का दावा है कि ऐसे ही लोगों पर नजर रखने के लिए सोशल मीडिया लैब और साइबर सेल यूनिट बनाई गई हैं। उनमें 24 घंटे काम चलता रहता है।

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ज्यादा खतरनाक 'लोन उल्फ'
इस्लामिक इस्टेट से जुड़ने की चाह रखने वालों के अलावा कुछ ऐसे भी हैं जो इनसे भी खतरनाक साबित हो सकते हैं। वे किसी संगठन में नहीं, अकेले ही हैं और अपने देश में वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं। पश्चिमी जांच एजेंसियां इन्हे "लोन उल्फ" के नाम से बुलाती हैं। ऐसे ही एक शख्स अनीस अंसारी को महाराष्ट्र एटीएस मुंबई के एक स्कूल को उड़ाने की योजना के आरोप में गिरफ्तार कर चुकी है। अनीस अंधेरी में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करता था। वह भी इंटरनेट के जरिए ही गुमराह हुआ था।