लोकसभा और विधानसभाओं में एससी, एसटी आरक्षण की अवधि बढ़ाने के लिए बिल आज होगा पेश

विधायिका में एंग्लो-इंडियन समुदाय के व्यक्ति को मनोनीत करने की व्यवस्था अगले वर्ष जनवरी में समाप्त हो जाएगी

लोकसभा और विधानसभाओं में एससी, एसटी आरक्षण की अवधि बढ़ाने के लिए बिल आज होगा पेश

संसद भवन.

खास बातें

  • एससी-एसटी आरक्षण 25 जनवरी 2020 को समाप्त होने वाला है
  • विधेयक लाकर आरक्षण की सीमा 10 वर्ष और बढ़ाई जाएगी
  • संविधान में आरक्षण की अवधि 70 वर्ष निर्धारित की गई थी
नई दिल्ली:

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण की सीमा 10 वर्ष और बढ़ाई जाएगी, लेकिन विधायिका में एंग्लो-इंडियन समुदाय के व्यक्ति को मनोनीत करने की व्यवस्था अगले वर्ष जनवरी में समाप्त हो जाएगी. संसद के निचले सदन में सोमवार को पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध एक विधेयक में यह प्रस्ताव किए गए हैं. उल्लेखनीय है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में इन श्रेणियों के लिए आरक्षण 25 जनवरी 2020 को समाप्त होने वाला है. संविधान (126वां) संशोधन विधेयक के मुताबिक जब संविधान लागू हुआ था, तब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति एवं अनूसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि 70 वर्ष निर्धारित की गई थी.

अनुसूचति जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए आरक्षण विधेयक को 25 जनवरी 2030 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है जबकि एंग्लो-इंडियन (आंग्ल भारतीय) समुदाय के लिए यह व्यवस्था समाप्त की जा रही है. संविधान के अनुच्छेद 334 के मुताबिक इन समुदायों को विधायिका में 70 वर्षों के लिए 25 जनवरी 2020 तक आरक्षण की व्यवस्था थी.

संसद में अनुसूचित जाति के 84 सदस्य और अनुसूचित जनजाति के 47 सदस्य हैं. देश भर की राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति के 614 सदस्य और अनुसूचित जनजाति के 554 सदस्य हैं.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

लोकसभा की वेबसाइट के मुताबिक अभी एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को लोकसभा में मनोनीत करने का प्रावधान है लेकिन अभी तक उन्हें मनोनीत नहीं किया गया है.



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)