लॉकडाउन में फंसे लोगों को वापस लाने को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने CM योगी को दी यह सलाह...

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि जो मजदूर पैदल अपने गांवों की तरफ जा रहे हैं उन्हें रोकने की जरूरत है. उनका आत्मविश्वास बढ़ाकर उनके खाना और छत देने की जरूरत है.

नई दिल्ली:

एक तरफ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों और मज़दूरों को वापस लाने की नीति पर काम कर रहे हैं वहीं NDTV से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि जो जहां हैं वहीं रहें, मज़दूरों के गांव में जाने से वहां कोरोना फैलने का ख़तरा बना रहेगा. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि जो मजदूर पैदल अपने गांवों की तरफ जा रहे हैं उन्हें रोकने की जरूरत है. उनका आत्मविश्वास बढ़ाकर उनके खाना और छत देने की जरूरत है. जो मजदूर पैदल चलकर अपने गावों तक पैदल पहुंच रहे हैं तो अगर उनमें से किसी एक को भी कोरोना का संक्रमण हुआ तो उसका खामियाजा पूरे गांव और पूरे प्रदेश को भुगतना पड़ेगा. लिहाजा प्रदेश सरकारों से मेरा आग्रह है कि मजदूरों का वापस जाने से रोकें.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहे संकट के बादलों को किस तरह हटाया जाएगा. उन्होंने बताया कि किस तरह उनका मंत्रालय आर्थिक संकट से निपटने की तैयारी कर रहा है. साथ ही केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि MSME सेक्टर के लिए सरकार ने क्या तैयारियां की हैं. NDTV से बात करने के दौरान नितिन गडकरी ने आगे की योजनाओं के बारे में बताया. 

अतिरिक्त अनाज से सैनिटाइज़र बनाने के सरकार के फ़ैसले की आलोचना पर गडकरी ने कहा कि ग़लतफ़हमी नहीं होनी चाहिए, सिर्फ़ गले अनाज से ही इथेनॉल बनेगा, जिससे सैनिटाइज़र बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारे पास 3-4 साल के लिए अतिरिक्त अनाज है और यह ग़लतफहमी है कि खाने वाले अनाज से सैनिटाइज़र बन रहा है. जो अनाज गला है, रखने की जगह नहीं है, उससे सैनिटाइज़र बनाने में इस्तेमाल के लिए इथेनॉल बनाया जाएगा. इससे किसानों और सबका भला है.

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दुनिया चीन के साथ व्यापार नहीं करना चाहती और यह भारत के लिए एक वरदान है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को NDTV के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में यह बात कही. कोरोनावायरस के प्रकोप के दौरान और लॉकडाउन के खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के उद्यमों) के लिए सरकार की क्या योजनाएं हैं, इस पर भी बातचीत के दौरान उन्होंने व्यापक चर्चा की.