विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Sep 26, 2018

91 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी कंपनी को बेलआउट करने के लिए सरकार बना रही दबाव : कांग्रेस

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा- कम्पनी दिवालिया हुई तो बाजार में भूचाल आ जाएगा, सितम्बर 2008 में अमेरिका में आर्थिक मंदी से पहले ऐसे ही हालात बने थे

Read Time: 3 mins
91 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी कंपनी को बेलआउट करने के लिए सरकार बना रही दबाव : कांग्रेस
कम्पनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड 91 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी है.
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने आरोप लगाया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) कम्पनी को बेलआउट करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय बैंकों पर दबाव डाल रहा है. कम्पनी दिवालिया हुई तो बाजार में भूचाल आएगा. कम्पनी पर 91 हजार करोड़ का कर्ज है. यह मामला माल्या-चौकसी-नीरव से सात गुना बड़ा मामला है.

मनीष तिवारी ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मल्टी एजेंसी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि दस साल पहले, सितम्बर 2008 में अमेरिका में बहुत बड़े वित्तीय संस्थान ने दिवालियापन के लिए अर्जी डाली थी. उस संस्था का नाम था लीमन ब्रदर्स. उसके बाद आर्थिक मंदी का दौर शुरू हुआ. कुछ वैसा ही भारत में हो रहा है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड कम्पनी में 40% हिस्सा एलआईसी, एसबीआई और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जैसी सरकारी संस्थाओं का है. 31 मार्च 2018 को इस पर बैंकों का 91 हजार करोड़ का कर्ज था. यह रकम माल्या, चौकसी, नीरव की रकम को मिलाकर भी सात गुना के बराबर है. यह कम्पनी डूबने के कगार पर है. इसके काफी दुष्परिणाम होंगे, इसी वजह से बाजार में भी खलबली है.

यह भी पढ़ें : आईएल एण्ड एफएस की मदद को खड़ी हुई LIC, कहा-कंपनी को गिरने नहीं दिया जायेगा

तिवारी ने कहा कि सवाल उठता है कि जिस कम्पनी में 40% हिस्सा सरकारी कंपनियों का है तो फिर इस पर 91 हजार करोड़ का कर्ज कैसे चढ़ गया है? बताया जाता है कि 91 हजार करोड़ में से 67 करोड़ एनपीए हो चुका है. प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय रिजर्व बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एलआईसी और NHAI पर दबाव डाल रहा है कि वे इस कंपनी को बेलआउट करें. कम्पनी में 35% हिस्सा विदेशी कंपनियों का है. इसको इसलिए बेलआउट करने की कोशिश की जा रही है ताकि विदेशी कंपनियों का पैसा न डूबे. भारतीय करदाताओं के पैसे से विदेशी कंपनियों की मदद की कोशिश की जा रही है.

VIDEO  : एनपीए बढ़कर पांच गुना हुआ

मनीष तिवारी ने कहा कि कल प्रधानमंत्री विदेशी महागठबंधन की बात कर रहे थे. यह है वह विदेशी गठबंधन. इसकी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मल्टी एजेंसी जांच की जरूरत है. ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई कि देश के 91 हजार करोड़ रुपये दांव पर लगे हुए हैं. यह कम्पनी डूबेगी तो इसका अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ेगा. वित्तमंत्री जवाब दें कि इस कम्पनी के बोर्ड में बैठे सरकारी कंपनियों के प्रतिनिधि क्या कर रहे थे?

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
फ्लैट में मिले 3.5 KG मांस से खुलेगा बांग्‍लादेशी MP की हत्या का राज?
91 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी कंपनी को बेलआउट करने के लिए सरकार बना रही दबाव : कांग्रेस
"वोट दो, डिस्काउंट लो..." : मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए दिल्ली के दुकानदारों की अनोखी पहल
Next Article
"वोट दो, डिस्काउंट लो..." : मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए दिल्ली के दुकानदारों की अनोखी पहल
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;