शीना हत्याकांड : इंद्राणी मुखर्जी को रहा है खतरनाक जिंदगी जीने का शौक

शीना हत्याकांड : इंद्राणी मुखर्जी को रहा है खतरनाक जिंदगी जीने का शौक

अपनी बेटी शीना की हत्या के मामले में घिरी इंद्राणी मुखर्जी की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

अपनी बेटी शीना मुखर्जी की हत्या के मामले में फंसी इंद्राणी मुखर्जी को जानने वाले लोगों की नजर में वह बेझिझक जोखिम उठाने वाले लोगों मे थी।

परी बोरा के नाम से जानी जाने वाली इंद्राणी मुखर्जी 18 साल की उम्र में सिद्धार्थ दास से मिली, जो कि तब शिलॉन्ग के कॉलेज में पढ़ाई करता था। इस दौरान वह इंद्राणी मुखर्जी के परिवार के साथ रहने आ गया। सिद्धार्थ का कहना है कि उसकी इंद्राणी से शादी बिना दो बच्चे शीना और मिखाइल हुए। भारतीय समाज में किसी युवा महिला के लिए तब और अब भी यह अपनी सीमा के आगे जाकर उठाया गया एक बड़ा और बोल्ड कदम था।


वहीं सिद्धार्थ दास की अगर बात करें तो कोलकाता में पत्रकारों के साथ हालिया दो बार हुई बातचीत के वक्त वह बेहद सावधानी से अपना चेहरा छुपाए रहा, पहली बार हेलमेट से और फिर दूसरी बार लाल रंग की टोपी और स्कार्फ के जरिये। उन्होंने कहा कि इंद्राणी मुखर्जी ने साल 1989 में बताया कि वह उन्हें छोड़ रही है और उनके दोनों बच्चे इंद्राणी के माता-पिता के साथ रहेंगे। इसके बाद वह कोलकाता लौट आए, जबकि इंद्राणी शिलॉन्ग चली गई।

पुलिस का कहना है कि साल 2012 की शुरुआत में इंद्राणी मुखर्जी अपने पहले पति संजीव खन्ना से अक्सर स्काइप पर बातें किया करती थी और अपने दोनों बड़े बच्चों शीना और मिखाइल के कत्ल की योजना बनाया करती थी। संजीव और इंद्राणी की भी विधि नाम की एक बेटी है, जो अब 18 साल की है। खबर है कि संजीव ने पुलिस को बताया कि इंद्राणी ने उससे कहा था कि बोरा भाई-बहन उसकी बेटी विधि को मारने की फिराक में हैं।

इंद्राणी की बेटी विधि संग तस्वीर

इंद्राणी को जानने वाले लोगों के मुताबिक, साल 2000 आते-आते इंद्राणी मुखर्जी के पास अच्छे पैसे आ गए थे। साल 2002 में उसने स्टार इंडिया के टॉप बॉस पीटर मुखर्जी के साथ शादी कर ली। उसकी खुद की हेड हंटिंग (लोगों को नौकरियां दिलाने वाली) कंपनी भी खासी सफल थी। हालांकि मीडिया सर्किट में खुद को मीडिया टायकून बनाने की इच्छुक इंद्राणी उस तरह जगह नहीं मिली।

साल 2007 में मुखर्जी परिवार ने मिलकर तीन चैनलों के साथ आईएनएक्स ब्रॉडकास्टिंग समूह की स्थापना की। 750 करोड़ की लागत से स्थापित इस कंपनी में कई साझेदार थे और इंद्राणी मुखर्जी बतौर सीईओ इसका संचालन कर रही थी। दो साल के बाद इस दंपति ने आईएनएक्स छोड़ दिया। उस वक्त कंपनियों में वित्तीय अनियमित्ताओं, फर्जी कंपनियों के जरिये पैसों की लेनदेन और मीडिया मुगल के तौर पर खुद को स्थापित करने की कोशिश में इस दंपति की असफलता की चर्चा होने लगी। इसके बाद मुखर्जी दंपति ब्रिस्टल में जा बसा और विधि का दाखिला यहीं के एक कॉलेज में करा दिया गया।

इंद्राणी की पति पीटर मुखर्जी संग फाइल फोटो

शीना और मिखाइल बोरा के बचपन के दौस्त बताते हैं कि उनके दादा-दादी ने बड़े लाड प्यार से इन दोनों की परवरिश की। मिखाइल के मुताबिक, पीटर मुखर्जी से शादी से ठीक पहले उनकी मां उनकी जिंदगी में दोबारा आई, और उन्हें अपने असल रिश्ते को छुपाने की ऐवज में वित्तीय मदद देने की पेशकश की और इस तरह इंद्राणी के ये दोनों बच्चे उसके भाई-बहन बन गए। इसके कुछ दिनों बाद शीना बोरा मुंबई रहने चली गई। यहां उसने मशहूर सेंट जेवियर्स कॉलेज में दाखिला ले लिया और यहीं उसकी मुलाकात राहुल मुखर्जी से हुई। राहुल पीटर मुखर्जी की पहली शादी से हुआ बेटा है और इस नाते शीना का सौतेला भाई लगता था।

शीना की राहुल संग तस्वीर

इंद्राणी मुखर्जी की गिरफ्तारी को लेकर शुरू में पुलिस सूत्रों ने कहा था कि इंद्राणी शीना और राहुल के रिश्ते से खुश नहीं थी और यही उसके कत्ल की वजह बनी। हालांकि बाद में पुलिस इस मामले में मां-बेटी के बीच किसी संभावित वित्तीय लेनदेन को भी कत्ल की वजह के तौर पर देखने लगी।

पुलिस  ने इस मामले में इंद्राणी मुखर्जी के ड्राइवर और संजीव खन्ना के कथित इकबालिया बयानों के आधार पर शीना बोरा के कत्ल की गुत्थियों को जोड़ती रही। पुलिस सूत्रों से अब तक मिल रही जानकारी के मुताबिक, शीना को  मुंबई के मशहूर लिंकिंग रोड से उठाया गया और फिर उसे नशीला पदार्थ पिला कर गला घोंट कर मार डाला गया। इन लोगों के शव को कार की डिक्की में बंद कर रात भर मुखर्जी के घर पर ही रखा। पुलिस के मुताबिक, अगली सुबह इंद्राणी ने उन लोगों से शीना के शव को पिछली सीट पर उसके बगल में रखने को कहा, जिससे किसी को उसके मरे होने का शक ना हो। इसके बाद वे लोग रायगढ़ के जंगल गए और वहां शव पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी।

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इन सारे तथ्यों को देखते हुए यह बात तो जरूर साफ होती है कि इंद्राणी मुखर्जी जिंदगी में जोखिम लेने को हमेशा तैयार रहती थी।