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This Article is From May 30, 2020

लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध, नक्शे और तस्वीरों से समझिए

भारत-चीन के बीच वर्तमान तनाव उस समय तीव्र रूप से ध्यान में आया जब दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच 5 मई और 6 मई को पैंगोंग झील क्षेत्र में झड़पों की खबरें आईं

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लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध, नक्शे और तस्वीरों से समझिए
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव के हालात बने हुए हैं.
नई दिल्ली:

लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में कम से कम पांच प्रमुख क्षेत्रों में गतिरोध है जहां भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा या  एलएसी क्षेत्र की धारणा पर पारंपरिक मतभेद हैं. दोनों पक्षों के बीच वर्तमान तनाव उस समय तीव्र रूप से ध्यान में आया जब दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच 5 मई और 6 मई को पैंगोंग झील क्षेत्र में झड़पों की खबरें आईं. चीनी सैनिकों के घेर कर बेहरमी से भारतीय जवानों पर हमला कर दिया था. जिसमें भारतीय सेना के अधिकारी और जवानों के घायल होने की खबरें आई थी.

वैसे तो चीनी और भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम इस विवादित क्षेत्र को अक्सर पार करते हैं.लेकिन ज्यादातर मामलों में, दोनों पक्षों के सैनिक एक 'बैनर ड्रिल' करने के बाद पीछे हट जाते हैं, जहां प्रत्येक पक्ष विवादित क्षेत्र पर अपना दावा करता है.

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पैगॉन्ग झील में हुई झड़प के बाद चीनी सेना द्वारा भारतीय इलाकों में घुसपैठ की कई कोशिशे की गई. जिसमें दक्षिण में डेमचोक, उच्च ऊंचाई वाले पंगु झील के पूर्वी तट पर स्थित फिंगर्स क्षेत्र, गैल्वान नदी बेसिन और हाल ही में की गई घुसपैठ का क्षेत्र गोगरा पोस्ट शामिल हैं. इनके अलावा उत्तर में दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र की तरफ भी चीनी गतिविधि में वृद्धि की कुछ रिपोर्टें भी मिली हैं.

दौलत बेग ओल्डी में एयर लैंडिंग ग्राउंड (ALG) की सुविधा है. यहां एक मजबूत हवाई पट्टी है. यहां भारतीय वायुसेना का मालवाहक विमान सी -130 हरक्यूलिस है की तस्वीरें भी कई बार सामने आई हैं, यहां स्थित भारतीय चौकियों के लिए आवश्यक वस्तुओं को इसी के द्वारा यहां तक पहुंचाया जाता है. इस क्षेत्र में भारतीय परिचालन को बनाए रखने के लिए यह पट्टी महत्वपूर्ण है, विशेषकर सर्दियों में जब भारी बर्फबारी के कारण सड़क का उपयोग बंद हो जाता है, विशेषकर दर्रों के पास वाली. दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी भी भारतीय सशस्त्र बलों को इस क्षेत्र में तोपखाने बंदूकों सहित हथियारों और हथियारों को तेजी से ट्रांसपोर्ट करने में सक्षम बनाती है. इस क्षेत्र में विवाद की मूल वजह भारत द्वारा उस सड़क का निर्माण प्रतीत होता है जो दक्षिण में डबरुक को दौलत बेग ओल्डी से उत्तर में जोड़ती है. पिछले साल पूरी हुई यह सड़क, इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है, जहां भारत ने चीनी सड़क निर्माण गतिविधि से मेल खाने के लिए संघर्ष किया है.

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पिछले साल अक्टूबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु का उद्घाटन किया था. लगभग 15,000 फीट की ऊंचाई पर, यह भारत का सबसे ऊंचा ऑल-वेदर ब्रिज है, यह विकास का एक ऐसा मानक था जो किसी भी तरह से चीनी सेनाओं से छिप नहीं सकता था.

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इस सड़का का बड़ा हिस्सा श्योक नदी के साथ साथ आगे बढ़ता है, जो कि लद्दाख के उत्तरी क्षेत्र में लाइन ऑफ कंट्रोल से ज्यादा दूरी पर नहीं है. गैलवान नदी बेसिन इकलौता ऐसा क्षेत्र जहां सड़क LAC के करीब चलती है. यह नदी श्योक में बहती है और माना जाता है कि यह चीनी घुसपैठ का स्थल है, हालांकि कितनी संख्या में पीएलए सैनिक इस पंरपरागत भारतीय सैनिकों के क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं इसका पता नहीं है. ओपन सोर्स उपग्रह विशेषज्ञों द्वारा जारी सैटालाइट इमेज मं गैल्वेन नदी बेसिन के करीब की सड़क के पास चीनी टेंट की उपस्थिति देखी गई है.

गालवान नदी के पास की वह पोस्ट जहां भारतीय और चीनी सेना का आमना सामना होने की खबर आई थी वह भारतीय सेना की अग्रिम पंक्ति की चौकी है जो कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास है. सूत्र बताते हैं कि इस पोस्ट के करीब एक चीनी सेना की चौकी का निर्णाण हुआ है, हालांकि यह संभावना है कि निर्माण वर्तमान में एलएसी के चीनी क्षेत्र में स्थित है.

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भारतीय सेना, जो चीनी घुसपैठ पर आधिकारिक बात नहीं कर रही है, और उसने यहां चीनी निर्माण की प्रकृति का ना कोई संकेत दिया है ना ही इस बात की जानकारी दी है कि चीन ने इस क्षेत्र में तोपखाने या टैंक स्थानांतरित किए गए हैं. वर्तमान में लद्दाख में विवाद का सबसे अहम क्षेत्र डेमचोक है. कई रिपोर्टों में इस क्षेत्र में चीनी सेना की भारी हथियारों के साथ गतिविधियों की जानकारी सामने आई है, हालांकि इसकी पुष्टी नहीं हो सकी है.

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भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को जारी किए अपने बयान में कहा, ' दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनायिक दोनों स्तरों पर इस स्थिति से निपटने का तंत्र स्थापित किया है. सीमा में उत्पन्न होने वाली स्थितियों को हल करने के लिए राजनयिक स्तर बातचीत के माध्यम से शांति से क्षेत्रों और लगे हुए हैं.' इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा कि "हम भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने संकल्प में दृढ़ हैं."

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