पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए पूरे देश में समान मापदंड लागू नहीं हो सकते : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह पटाखों और वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर एक तुलनात्मक स्टडी कर कोर्ट में दाखिल करे

पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए पूरे देश में समान मापदंड लागू नहीं हो सकते : सुप्रीम कोर्ट

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

देशभर में पटाखों पर बैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग पटाखों पर बैन के पीछे क्यों पड़े हैं जबकि ऐसा लगता है कि वाहनों द्वारा ज्यादा प्रदूषण होता है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह पटाखों और वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर एक तुलनात्मक स्टडी कर कोर्ट में दाखिल करे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट पटाखे बंद करने और इस तरह पटाखा इकाइयों को बंद करके बेरोजगारी पैदा नहीं कर सकता. कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण का स्तर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होता है और पूरे देश में पटाखे पर प्रतिबंध लगाने के लिए पूरे देश में समान मानदंड लागू नहीं किए जा सकते.

जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि यदि पटाखा व्यापार वैध है और उनके पास एक वैध लाइसेंस है तो यह अदालत उसे कैसे रोक सकती है?  क्या अदालत ने कभी भी अनुच्छेद 19 के तहत जीवन के अधिकार के दृष्टिकोण से पटाखों पर प्रतिबंध के मुद्दे का परीक्षण किया है. अन्य देशों की तुलना में भारत में पटाखे जोर-शोर से चल रहे हैं. इसलिए अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को देश के भीतर समान रूप से लागू नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- कहां हैं ग्रीन पटाखे? देर होने पर NEERI को फटकार

पटाखों पर पाबंदी के मामले में ASG ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अब तक PESO और NEERI ने हरित पटाखों और आतिशबाजी का फॉर्मूला फाइनल नहीं किया है. ASG ने कहा की पटाखों में खतरनाक रसायन बेरियम नाइट्रेट के इस्तेमाल पर रोक है. लिहाज़ा हरित पटाखों के रासायनिक कॉम्बिनेशन को लेकर तजुर्बे किए जा रहे हैं.

VIDEO : पटाखों पर रोक का विरोध

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

तमिलनाडु की ओर से ये कहा गया कि दीवाली के आसपास प्रदूषण बढ़ने की बड़ी वजह हवा की मंद गति और पराली जलाना भी है. कोर्ट ने फिर पूछा- इसके लिए क्षेत्रवार आंकड़े कोर्ट के सामने लाए जाएं. उसी के आधार पर पूरे देश के लिए आदेश दिए जाएंगे. इसके लिए हमें कई तथ्य जानने ज़रूरी हैं. सुप्रीम कोर्ट तीन अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई करेगा.