कुरान में मर्द-औरत में फर्क नहीं, फिर महिलाओं को मस्जिद में नमाज की आजादी क्यों नहीं? याचिका दाखिल

मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और सबके साथ नमाज अदा करने की आजादी मांगी, सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को होगी सुनवाई

कुरान में मर्द-औरत में फर्क नहीं, फिर महिलाओं को मस्जिद में नमाज की आजादी क्यों नहीं? याचिका दाखिल

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • महाराष्ट्र के दंपति यास्मीन और जुबेर अहमद पीरजादा की याचिका
  • सबरीमाला की तरह लैंगिक आधार पर बराबरी का अधिकार देने की मांग
  • कुरान और हजरत ने औरतों के मस्जिद में नमाज अदा करने की खिलाफत नहीं की
नई दिल्ली:

मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और सबके साथ नमाज अदा करने की आजादी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस पर सुनवाई करेगा.

महाराष्ट्र के दंपति यास्मीन जुबेर अहमद पीरजादा और जुबेर अहमद पीरजादा की याचिका में सबरीमाला की तर्ज पर सबको लैंगिक आधार पर भी बराबरी का अधिकार देने की मांग की गई है. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14,15,21, 15 और 29 का भी हवाला दिया गया है.

याचिका में इस्लाम के मूल आधार, यानी कुरान और हजरत मोहम्मद साहब के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने कभी मर्द-औरत में फर्क नहीं रखा. बात सिर्फ अकीदे यानी श्रद्धा और ईमान की है. कुरान और हजरत ने कभी औरतों के मस्जिद में दाखिल होकर नमाज अदा करने की खिलाफत नहीं की. लेकिन कुरान को आधार बनाकर इस्लाम की व्याख्या करने वालों ने औरतों से भेदभाव शुरू किया.

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याचिका में कहा गया है कि मौजूदा दौर में कुछ मस्जिदों में जहां औरतों को नमाज अदा करने की छूट है, वहां उनके आने-जाने के दरवाजे ही नहीं नमाज अदा करने की जगह भी अलग होती है.