यह ख़बर 11 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी, दिल्ली में कोई सुरक्षा नहीं

खास बातें

  • एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल देने पर ज्यादा ध्यान देना होगा, ताकि वे सम्मान के साथ रह सकें। कोर्ट ने इस मामले में सरकार को नोटिस भेजा है और दो हफ्ते में जवाब मांगा है।
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में हाल ही में एक युवती से सामूहिक बलात्कार और नृशंस हत्या की वारदात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राजधानी में कोई सुरक्षा नहीं है और इसी वजह से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति हो रही है।

न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने 16 दिसंबर की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह कोई अकेली घटना नहीं थी और यह शहर में दोहराई जा रही है।

उन्होंने कहा, शहर में कोई सुरक्षा नहीं है और इसे बहाल किया जाना चाहिए। न्यायाधीशों ने कहा कि राजधानी में महिलाओं के लिए सुरक्षा के माहौल को लेकर वे चिंतित हैं, ताकि वे (महिलाएं) गरिमा के साथ रह सकें।

न्यायालय राजधानी को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने हेतु कानून के छात्र की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में बलात्कार की शिकार युवतियों को मुआवजा दिलाने के लिए आपराधिक आघात मुआवजा बोर्ड गठित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि मोटर वाहन कानून का उल्लंघन करने वाले वाहनों का लाइसेंस भी रद्द किया जाना चाहिए।

याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने टिप्पणी की कि बस मालिक को किसी ऐसे मार्ग पर बस प्रचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जिस पर उसकी किसी बस ने कानून का उल्लंघन किया है। न्यायाधीशों ने कहा, हम सुरक्षा के माहौल को लेकर अधिक चिंतित हैं, जहां महिलाएं सम्मान और गरिमा के साथ काम कर सकें और इसे बहाल किया जाना चाहिए।

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न्यायालय ने इसके साथ ही केंद्र और दिल्ली सरकार तथा राष्ट्रीय महिला आयोग से जवाब तलब किया है। इन सभी को दो सप्ताह के भीतर अपने जवाब दाखिल करने हैं।