ये हैं 2 बड़ी वजह, जिसके चलते जवानों पर होते हैं सुकमा जैसे नक्सली हमले

ये हैं 2 बड़ी वजह, जिसके चलते जवानों पर होते हैं सुकमा जैसे नक्सली हमले

छत्तीसगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन ने जवानों के ऊपर हुए नक्सली हमले पर अपनी राय रखी.तस्वीर: प्रतीकात्मक

खास बातें

  • छत्तीसगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन नक्सली हमले पर रखी राय
  • माओवादियों से लड़ने के लिए जवानों को अलग से नहीं मिलती ट्रेनिंग
  • नक्सली हर एनकाउंटर के बाद करते हैं गहरा विश्लेषण
नई दिल्ली:

छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में 25 जवानों के शहीद होने के बाद एक बार फिर से सवाल उठ रहे हैं आखिर पुलिस और सीआरपीएफ से कहां चूक हो जाती है? इस हमले पर सोशल मीडिया लोगों के आ रहे कमेंट्स पर नजर डालें तो तीन बातें स्पष्ट हो रही है. ज्यादातर ट्विटर यूजर शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं और उनके परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट कर रहे हैं. कुछ लोग सरकार से नक्सलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं. वहीं एक तबका पूछ रहा है कि आखिर हमारे जवान कहां चूक करते हैं कि नक्सली उन्हें इतने बड़े स्तर पर निशाना बना लेते हैं?

1. इस विषय पर छत्तीसगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन ने कहा कि माओवादियों ने अपने आप को काफी तैयार कर लिया है. इन दिनों नक्सली कैंप में मिलिट्री के समकक्ष ट्रेनिंग दी जाती है. इसी वजह से नक्सलियों को फौज की लड़ाई की रणनीति के बारे में लगभग पूरी जानकारी होती है. 

2. छत्तीसगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक ने बताया कि नक्सली हर एनकाउंटर का विश्लेषण बेहद गहराई से करते हैं. वहीं पुलिस में ऐसा कोई संगठन नहीं है या अब तक ऐसा कोई सिस्टम नहीं है, जिसमें एनकाउंटर का गहन विश्लेषण किया जाए. यही मुख्य वजह है कि पुलिस नक्सलियों के हमले के तरीके को समझ नहीं पाती है. पूर्व आईपीएस विश्वरंजन ने बताया कि सीआरपीएफ कोबरा, आईटीबीपी आदि नक्सल इलाकों में तैनात की जाने वाली बटालियन को बुनियादी ट्रेनिंग दी जाती है. उन्हें अलग से नक्सलियों से लड़ने की अतिरिक्त ट्रेनिंग नहीं दी जाती है.

हालांकि विश्वरंजन नक्सलियों से निपटने के लिए सेना के इस्तेमाल को सही नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि ज्यादातर नक्सल प्रभावित इलाके आदिवासी बहुल हैं. आदिवासी नक्सलियों से मिले हुए हैं. ऐसे में इन जगहों पर सेना का प्रयोग नासमझी भरा फैसला हो सकता है.

विश्वरंजन ने कहा कि माओवादी लीडरशिप आज भी मानता है कि वह जीत दर्ज कर लेंगे, हालांकि वे इस बात को भी कहते हैं कि इसके लिए उन्हें लंबी लड़ाई होगी. पिछले साल हुई कार्रवाइयों में माओवादियों को बैकफुट पर डाला गया, लेकिन इसका कतई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि माओवादी परास्त हो गए हैं.

नोट: छत्तीसगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन के बीबीसी रेडियो पर कही गई बातों पर आधारित खबर.
 


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