पाकिस्तानी गोलीबारी के बीच यह नोटिस बयां कर रहा है LoC के पास रह रहे लोगों की मुश्किलें

पाकिस्तानी गोलीबारी के बीच यह नोटिस बयां कर रहा है LoC के पास रह रहे लोगों की मुश्किलें

खास बातें

  • नियंत्रण रेखा के आस-पास के इलाकों में नोटिस चिपकाए गए हैं
  • इसमें लोगों से घरों की बत्तियां बंद रखने को कहा गया है
  • किसी से भी सेना/बीएसएफ/पुलिस की सूचना साझा न करें : नोटिस
जम्मू:

जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा से करीब एक किलोमीटर दूर दुइयां गांव में पिछले शुक्रवार सीमा पार से पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में 16 साल के अजय कुमार की मौत हो गई. वह अपनी बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहा था.

दुइयां के पास ही स्थित खौर शहर में एक नया नोटिस लगाया गया है, जिसमें लोगों से घरों की बत्तियां बंद रखने और अनजान लोगों व फोन पर किसी तरह की सूचना साझा करने से मना किया गया है.

इस नोटिस में लिखा है, 'सेना/बीएसएफ/पुलिस/ या दूसरे सुरक्षा बलों की स्थिति एवं शक्ति की सूचना किसी के साथ भी साझा न करें. किसी अंजान नंबर से फोन का जवाब न दें, चाहें वह खुद सेना या पुलिस का अधिकारी ही क्यों न बता रहा हो. किसी अजनबी पर भरोसा न करें.' इसके साथ इसमें कहा गया है कि सीमा के आस-पास वाले इलाकों अगर आपको कोई अजान विकलांग दिखे तो पुलिस को तत्काल सूचित करें.

ये नोटिस सिर्फ खौर में ही नहीं बल्कि इलाके के दूसरे कस्बों और गांवों में भी लगाई गई है. इसी इलाके के निवासी अतुल सिंह कहते हैं, 'हमनें कई वर्षों में एक नोटिस नहीं देखा.'

पास के ही गांव में रहने वाले तरसीम सिंह बेहद संभल-संभल कर अपनी खेत की तरफ जा रहे हैं, जो कि अभी काफी दूर प्रतीत हो रहा है. धान की पकी बालियों की वजह से उनके खेत सोने से दमक रहे हैं. लेकिन 50 वर्षीय सिंह सीमा पार से हो रही गोलीबारी की वजह से अपनी पकी यूं ही खेत में छोड़ने को मजबूर हैं. वह करीब एक किलोमीटर दूर स्थित नियंत्रण रेखा की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, 'जब भी हम खेतों की तरफ जाते हैं, उधर से गोलियां बरसनी शुरू हो जाती है.'

तरसीम सिंह कहते हैं कि साल 2014 के बाद से इन तीन वर्षों में सीमा पार से गोलीबारी की वजह से वह अपनी फसल नहीं काट पाए हैं. वह गुस्से से कहते हैं, 'यह आखिरी साल है, जो मैं रुका हुआ हूं.' उनका परिवार भी दूसरे लोगों की तरह पहले ही गांव छोड़ कर जा चुका हैं और वह वापस लौटना भी नहीं चाहते. दो दशकों में दूसरी दफा है, जब उन्हें अपना घर-बार छोड़ कर जाना पड़ा है. तरसीम सिंह ने भी पिछले 20 वर्षों के दौरान दूसरी बार अपना घर बनाया. वह बताते हैं, 'करगिल युद्ध के बाद हम यहां दोबारा बसे थे.' हालांकि इस हालिया गोलीबारी के बाद वह कहते हैं कि तरसीम सिंह अब दूसरी जगह बसने की सोच रहे हैं.

भारतीय सेना ने एनओसी के पार जाकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के ठिकानों पर जब से हमला किया है, तभी से पाकिस्तानी सेना भारत के साथ वर्ष 2003 में हुए संघर्षविराम समझौते का उल्लंघन करते हुए बदस्तूर गोलीबारी कर रहा है. एलओसी के पार भारतीय सेना की यह कार्रवाई उरी पर हुए आतंकी हमले के जवाब में था, जिसमें हमारे 19 जवान शहीद हो गए थे.


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