NDA में सहयोगी पार्टी जदयू ने बताया वह क्यों कर रही है तीन तलाक बिल का विरोध

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि तीन तलाक संबंधी विधेयक मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से लाया गया है और उसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिये.

NDA में सहयोगी पार्टी जदयू ने बताया वह क्यों कर रही है तीन तलाक बिल का विरोध

जदयू प्रमुख और बिहार सीएम नीतीश कुमार.

खास बातें

  • राज्यसभा में आज पेश किया गया बिल
  • लोकसभा में हो चुका है पास
  • लोकसभा में भी जदयू ने किया था वॉकआउट
नई दिल्ली:

तीन तलाक बिल लोकसभा में पास होने के बाद मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया गया. जहां भाजपा बिल को पास कराने की पूरी कोशिश कर रही है, वहीं विपक्षी दल इसके विरोध में हैं. अधिकत्तर विपक्षी दलों की मांग है कि बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. एनडीए में सहयोगी पार्टी जदयू भी इस बिल के विरोध में हैं. लोकसभा में बिल पेश होने के बाद जदयू ने वॉकआउट कर दिया था, वहीं मंगलवार को राज्यसभा से भी जदयू ने वॉकआउट कर दिया.

जदयू बिहार अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने बताया कि जदयू इस बिल का विरोध क्यों कर रही है. उन्होंने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'तीन तलाक बिल पर सरकार को मुस्लिम समुदाय के साथ बात करनी चाहिए थी. उनकी सहमति लेना जरूरी था. इस मामले पर अभी समाज में और जन जागरण की जरूरत है. सामाजिक जागरूकता कैम्पेन चलाना जरूरी होगा.'

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वहीं जयदू के वॉकआउट करने पर भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद प्रभात झा ने कहा, 'हर पार्टी की अपनी विचारधारा होती है. जदयू ने तीन तलाक बिल को अपने तराजू पर तौला और बहिष्कार करने का निर्णय किया. हमें विश्वास है कि तीन तलाक बिल हम पास करा लेंगे.' बता दें, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 राज्यसभा में पेश किया. प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक निषेध विधेयक मानवता, महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने वाला है.

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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि तीन तलाक संबंधी विधेयक मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से लाया गया है और उसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा एक फैसले में इस प्रथा पर रोक लगाने के बावजूद तीन तलाक की प्रथा जारी है. इस विधेयक को लोकसभा से पिछले सप्ताह पारित किया जा चुका है. 

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प्रसाद ने कहा, ‘इस मुद्दे को राजनीतिक चश्मे या वोट बैंक की राजनीति के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिये. यह मानवता का सवाल है. यह महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से एवं उनकी गरिमा तथा अधिकारिता सुनिश्चित करने के लिये पेश किया गया है. इससे लैंगिक गरिमा एवं समानता भी सुनिश्चित होगी.' 

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