तीन तलाक : मुस्लिम महिला लॉ बोर्ड ने अदालत की टिप्पणी का किया स्वागत तो एमआईएमपीएलबी ने खारिज किया

तीन तलाक : मुस्लिम महिला लॉ बोर्ड ने अदालत की टिप्पणी का किया स्वागत तो एमआईएमपीएलबी ने खारिज किया

प्रतीकातमक फोटो

नई दिल्ली:

सरकार और ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड ने गुरुवार को तीन तलाक पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की टिप्पणी को स्वागत योग्य कदम बताकर उसकी सराहना की, वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे खारिज करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय अंतिम फैसला सुनाएगा.

'तीन तलाक' पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की टिप्पणी की सराहना करते हुए भाजपा ने गुरुवार को कहा कि मुद्दे पर उसके रख की पुष्टि हुई है और इस प्रथा का समर्थन कर रहे राजनैतिक दलों से कहा कि "वे समाज को धर्म के नाम पर बांटने से बचें. " भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, "लैंगिक समानता की भाजपा की विचारधारा की अदालत की टिप्पणी से पुष्टि होती है जिसने तीन तलाक को असंवैधानिक और महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन बताया है.  एक प्रगतिशील समाज को प्रतिगामी धार्मिक प्रथा पर नहीं छोड़ा जा सकता."

उन्होंने कहा, "भाजपा अदालत के फैसले का स्वागत करती है और उन राजनैतिक दलों को भी चेतावनी देती है जिन्होंने अपने राजनैतिक फायदे के लिए तीन तलाक का समर्थन किया है. उनके लिए समय आ गया है कि वे धर्म के नाम पर समाज को बांटने से बचें.  कोई भी पर्सनल लॉ संविधान द्वारा व्यक्ति को प्रदत्त अधिकारों पर प्रभावी होने का दावा नहीं कर सकता."

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आगाह किया कि तीन तलाक का मुद्दा वोट बैंक की राजनीति की वजह से शाह बानो मामले की राह पर नहीं जाना चाहिए.  टिप्पणी का स्वागत करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए और हर कोई इसपर सहमत है.

ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने इससे पहले समान नागरिक संहिता पर आपत्ति जताई थी.  हालांकि, आज उन्होंने कहा कि तीन तलाक की प्रथा अनुचित है. उन्होंने कहा, "यह एक अत्याचार है--अल्लाह का कोई भी कानून अत्याचार बर्दाश्त नहीं करता है. "  

अंबर ने उम्मीद जताई कि मुस्लिम महिलाएं संविधान के साथ-साथ इस्लामिक कानूनों के आधार पर न्याय पाएंगी. महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा राज ने कहा, "कोई भी महिलाओं की व्यथा को नहीं समझता. आज उच्च न्यायालय ने स्वागत योग्य कदम उठाया है.  यह महिलाओं के मनोबल को उपर उठाने में मदद करेगा. "हालांकि, एआईएमपीएलबी ने लगता है कि उच्च न्यायालय की टिप्पणी को खारिज कर दिया है. इसके सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि तीन तलाक का मामला पहले ही उच्चतम न्यायालय के समक्ष है, "इसलिए वह फैसला होगा."

उन्होंने कहा कि तीन तलाक का मुद्दा सिर्फ मुस्लिमों तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा, "यह उन सभी धार्मिक इकाइयों का सवाल है जिन्हें संविधान के तहत अपनी आस्था और धर्म का पालन करने का अधिकार दिया गया है." ठाकरे ने कहा कि टिप्पणी का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "इसका देश के लिए काफी महत्व है. वोट बैंक की राजनीति की वजह से मुद्दे (तीन तलाक) को शाह बानो मामले की राह नहीं बढ़ना चाहिए."

अदालत ने कहा है, "इस्लाम में तलाक की अनुमति अत्यंत आपात स्थिति में ही है. जब सुलह के सारे प्रयास विफल हो गए हों तब पक्ष तलाक या खुला के जरिए शादी को खत्म करने के लिए आगे बढ़ सकते हैं. "अदालत ने कहा कि तीन तलाक 'क्रूर' है और इसने एक सवाल को जन्म दिया है कि क्या मुस्लिम महिलाओं के कष्ट को दूर करने के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ में संशोधन किया जा सकता है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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