'बिप्लब हटाओ, BJP बचाओ'- नारे के बाद जनता से बोले त्रिपुरा CM बिप्लब देब, बोले- 'आप बताएं जाऊं या रहूं'

दो दिन पहले ही सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों की ओर से 'बिप्लब हटाओ, बीजेपी बचाओ' के नारे लगाए गए थे, जिसके बाद मुख्यमंत्री का कहना है कि वो इस घटना से काफी दुखी हैं और खुद लोगों से मिलकर उनका विचार जानेंगे कि क्या उन्हें अपने पद पर बने रहना चाहिए या नहीं. 

'बिप्लब हटाओ, BJP बचाओ'- नारे के बाद जनता से बोले त्रिपुरा CM बिप्लब देब, बोले- 'आप बताएं जाऊं या रहूं'

बिप्लब देब राज्य में पार्टी के ही समर्थकों का विरोध झेल रहे हैं. (फाइल फोटो)

अगरतला:

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब (Tripura CM Biplab Deb) डिफेंसिव मोड में आ गए हैं. दो दिन पहले ही सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों की ओर से 'बिप्लब हटाओ, बीजेपी बचाओ' के नारे लगाए गए थे, जिसके बाद मुख्यमंत्री का कहना है कि वो इस घटना से काफी दुखी हैं और खुद लोगों से मिलकर उनका विचार जानेंगे कि क्या उन्हें अपने पद पर बने रहना चाहिए या नहीं. 

बिप्लब देब ने कहा कि वो रविवार को अपने राज्य के लोगों (और अपने आलोचकों) से एक कार्यक्रम में मिलेंगे, जो जनता के लिए खुला होगा और वो इसमें पूछेंगे क्या लोग उन्हें पद पर बने देखना चाहते हैं या नहीं. देब ने मंगलवार को अगरतला में जल्दबाजी में बुलाई गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 'मैं जाऊं या रहूं, ये आप पर निर्भर करता है. अपना मैंडेट दीजिए. मैं रविवार को दोपहर दो बजे विवेकानंद मैदान में रहूंगा. आप जो भी कहेंगे वो हाईकमान तक पहुंचा दिया जाएगा.'

उन्होंने कहा कि 'मुझे नारे से दुख हुआ है. मेरी बस इतनी गलती है कि मैं राज्य के विकास को लेकर प्रतिबद्ध हूं. मेरे पास बस पांच साल हैं, मैं कोई 30 साल तक काम करने वाला सरकारी अफसर नहीं हूं.'

यह भी पढ़ें: त्रिपुरा के CM बिप्लब देब बोले- घरों में लगाएं स्वामी विवेकानंद की फोटो, 30 साल तक राज करेगी BJP 

बता दें कि पिछले रविवार को त्रिपुरा गेस्ट हाउस के चारों ओर सैंकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी, जहां बीजेपी के नवनियुक्त पर्यवेक्षण विनोद सरकार राज्य के नेताओं से बात कर रहे थे. भीड़ ने यहां पर 'बिप्लब हटाओ-BJP बचाओ' के नारे लगाने शुरू कर दिए थे. माना जा रहा है कि यह प्रदर्शन BJP-IPFT (Indigenous People's Front of Tripura) के गठबंधन को मैनेज करने में बिप्लब देब के असफल रहने के चलते फैले असंतोष के कारण हुआ है.

विनोद सोनकर ने बाद में कहा कि पार्टी के अंदर कोई मतभेद नहीं है लेकिन इंकंबेंट प्रशासन और बीजेपी के मजबूत विधायक सुदीप देव बर्मन के बीच जरूर लड़ाई चल रही है. बर्मन से पिछसे साल जून में हेल्थ पोर्टफोलियो छीन लिया गया था. बर्मन अपनी हैसियत के अनुसार, हेमंत बिस्व सरमा और दिल्ली के हाईकमान के साथ मीटिंग भी कर चुके हैं. फिलहाल बिप्लब देब के लिए चीजें अच्छी नहीं दिख रही हैं.

Video: त्रिपुरा में पत्रकार की पिटाई, मुख्यमंत्री की आलोचना का आरोप

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com