भरोसा और स्वीकार्यता अर्जित की जाती है, मांगी नहीं जाती : जस्टिस रमन्ना

जस्टिस रमन्ना की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है, जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए उनके खिलाफ शिकायत करते हुए प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एसए बोब्डे को पत्र लिखा है.

भरोसा और स्वीकार्यता अर्जित की जाती है, मांगी नहीं जाती : जस्टिस रमन्ना

आंध्र के मुख्यमंत्री ने जस्टिस रमन्ना की शिकायत करते हुए सीजेआई को लिखी है चिट्ठी

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा है कि न्यायपालिका (Judiciary)की सबसे बड़ी मजबूती जनता का भरोसा है. जजों को न्यायपालिका के सिद्धांतों को कायम रखने के लिए मजबूती से खड़े रहना चाहिए. साथ ही दबावों और कठिनाइयों के बावजूद अपने निर्णय़ों को लेकर निर्भीक होना चाहिए.

यह भी पढ़ें- फैसलों पर अपमानजनक टिप्पणी के मामले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने CBI जांच के आदेश दिए

जस्टिस रमन्ना की यह टिप्पणी इस मायने में महत्वपूर्ण है, जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए उनके खिलाफ शिकायत करते हुए प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एसए बोब्डे को पत्र लिखा है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एआर लक्ष्मणन के निधन पर शनिवार को हुई एक शोक सभा में जस्टिस रमन्ना ने यह प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि जनता का भरोसा न्यायपालिका की सबसे बड़ी शक्ति है. आस्था. भरोसा और स्वीकार्यता मांगने से नहीं मिलती, इसे अर्जित करना पड़ता है.

यह भी पढ़ें-आंध्र के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, जानिए क्या है पूरा मामला

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के पत्र से उठे विवाद के बाद किसी सार्वजनिक मंच पर जस्टिस रमन्ना का यह पहला बयान है. उन्होंने कहा, अच्छे जीवन के लिए किसी व्यक्ति को बहुत सारे गुणों का अनुसरण करना चाहिए. विनम्रता, धैर्य, दया, काम को लेकर मजबूत नैतिकता और लगातार सीखने का उत्साह जैसी बातें जीवन को निखारती हैं. विशेष तौर पर न्यायाधीश को दबाव और विषमताओं के वक्त भी सभी अवरोधों का बहादुरी से सामना करते हुए निर्भीकता से खड़े रहना जरूरी है.