यह ख़बर 15 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

वाराणसी में भूख और बेबसी ने दो मासूमों को सुला दिया मौत की नींद

खास बातें

  • वाराणसी में एक गरीब और बेबस मां की आंखों के सामने उसके दो बच्चों ने भूख के कारण दम तोड़ दिया। परिवार के इकलौते कमाऊ शख्स की 10 महीने पहले मौत हो गई थी, जिसके बाद से पड़ोसियों की मदद से ही इनका पेट चलता था।
वाराणसी:

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक गरीब और बेबस मां की आंखों के सामने उसके दो बच्चों ने भूख के कारण दम तोड़ दिया। इस समाज और सरकार के लिए इससे दुखद और शर्मनाक घटना और क्या हो सकती है?

वाराणसी के बजरडीहा क्षेत्र के उंचवा जक्खा मोहल्ले में भूख से 14 साल की एक बच्ची और तीन साल के उसके भाई की मौत हो गई। इन बच्चों की मां नाजरा खातून ने बताया कि परिवार के इकलौते कमाऊ शख्स उनके पति थे, जिनकी 10 महीने पहले मौत हो गई थी।

पति की मौत के बाद परिवार के पास जीविका चलाने का कोई साधन नहीं बचा। उन्हें दो वक्त का भोजन नसीब होना मुहाल हो गया और पड़ोसी जो मदद देते थे, उसी से उनका पेट चलता था। परिवार में अब मां नाजरा खातून के साथ तीन बेटियां - नासिरा परवीन (18), नाजिया (16) और साइना (12) हैं। इनमें भी नाजिया को बुखार और खांसी आ रही है।

भूख से मौत की खबर जैसे ही नेताओं को लगी, वे राजनीति की रोटी भूखे परिवार के पेट पर सेंकने वहां पहुंच गए और मौजूदा सरकार तथा जिला प्रशासन को इस घटना के लिए जिम्मेदार करार दिया। क्षेत्र की विधायक भी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचीं और 'फर्ज अदायगी' के तहत वादों का आश्वासन दिया और वहां से चली गईं।

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वाराणसी के अपर जिलाधिकारी का कहना है कि इस परिवार को हर तरह की सरकारी मदद दी जा रही है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की टीम भी वहां गई थी। उनका यह भी कहना है कि बच्चों की भूख  से मौत की पुष्टि नहीं हुई है और अगर परिवार के लोग चाहेंगे, तो मृत बच्चों का पोस्टमार्टम भी कराया जाएगा। वहीं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस परिवार को सरकार की तरफ से कोई सहायता प्राप्त नहीं हुई। स्वयंसेवी संस्थाएं ने अपनी तरफ से कुछ पैसे इस परिवार को दिए हैं और उनके साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया।