नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव से पहले जैन समुदाय को केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया। इससे वे सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में अल्पसंख्यक समुदायों को मिलने वाले फायदे हासिल कर सकेंगे।
जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने का फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया। एक दिन पहले ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने यह मुद्दा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समक्ष उठाया था।
जैनियों के एक समूह ने रविवार को राहुल से मुलाकात कर अपनी लंबे समय से चली आ रही इस मांग पर चर्चा की थी, जिसके बाद राहुल ने प्रधानमंत्री से बात की थी।
जैन समुदाय अल्पसंख्यक का दर्जा पाने वाला छठा समुदाय हो गया है। मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदायों को पहले से ही अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान ने बताया कि उनका मंत्रालय इस बारे में जल्द ही अधिसूचना जारी करेगा।
जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने के बाद उसके सदस्यों को अल्पसंख्यकों के लिए कल्याण कार्यक्रमों और छात्रवृत्तियों में केंद्रीय मदद हासिल होगी। वे अपने शैक्षिक संस्थान भी चला सकते हैं।
इस समुदाय को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा पहले से ही हासिल है। संख्या की बात करें तो जैनियों की संख्या लगभग 50 लाख है और उनमें से अधिकांश कारोबारी और संपन्न हैं।