यह ख़बर 04 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

योगी पर कार्रवाई नहीं हुई तो उत्तर प्रदेश में स्वतंत्र निष्पक्ष चुनावों में आएगी बाधा : सपा

यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की फाइल तस्वीर

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा ने भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ के कथित सांप्रदायिक बयानों को लेकर उन पर कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष उपचुनाव में बाधा की आशंका जताते हुए गुरुवार को कहा कि इस मसले पर चुनाव आयोग की चुप्पी मतदाताओं के अधिकारों की उपेक्षा है।

सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने आरोप लगाया, 'उत्तर प्रदेश में हो रहे उपचुनावों में भाजपा के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ खुलेआम 'लव जिहाद' के नाम पर अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ नफरत फैलाने तथा कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने पर आमादा हैं।' चौधरी ने कहा, 'विडम्बना है कि निर्वाचन आयोग सामाजिक ताना बाना तोड़ने की भाजपा और योगी की हरकतों की अनदेखी कर रहा है। इसके विपरीत लोकसभा चुनावों में बिना पक्ष सुने ही सपा नेता मोहम्मद आजम खां की चुनावी सभाओं पर रोक लगा दी गई थी। चुनावी आचार संहिता के खिलाफ योगी के आचरण पर निर्वाचन आयोग चुप्पी साधे हुए है। यह मतदाताओं को मिलने वाले स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों की गारंटी की उपेक्षा है।'

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाते हुए इस संबंध में स्वत: संज्ञान लेकर आदर्श आचार संहिता का पालन सुनिश्चित कराना चाहिए अन्यथा सामाजिक सौहार्द्र को भारी क्षति पहुंचेगी और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में बाधा आएगी।


प्रवक्ता ने कहा कि योगी ने एक टीवी कार्यक्रम में जिस तरह खुले आम सांप्रदायिकता का जहर उगला है, वह एक समुदाय को आतंकित करने वाला है और हिंसा का खतरनाक आमंत्रण है। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग को इस संबंध में स्वत: संज्ञान लेकर आदर्श आचार संहिता का पालन कराने की व्यवस्था करनी चाहिए। यदि योगी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो सामाजिक सौहार्द को भारी क्षति पहुंचेगी और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में बाधा आएगी।

चौधरी ने कहा कि टीवी कार्यक्रम में योगी ने जिस तरह हिंसा की तरफदारी की, उससे भारतीय संविधान का खुला उल्लंघन हुआ है। सपा प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों को कतई बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है।

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चौधरी ने कहा कि सपा ने 30 अगस्त को भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर योगी के 'जहरीले' बयानों की ओर ध्यान आकर्षित कर उनकी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने की मांग की थी।