यूपी में दो मंत्री राजकिशोर और गायत्री प्रसाद प्रजापति बर्खास्त, दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप

यूपी में दो मंत्री राजकिशोर और गायत्री प्रसाद प्रजापति बर्खास्त, दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप

राजकिशोर सिंह और गायित्री प्रसाद प्रजापति... (फाइल फोटो)

खास बातें

  • अखिलेश के कदम को डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है
  • दोनों मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप
  • विपक्षी दल इन दिनों यूपी में जोर-शोर से कर रहे हैं प्रचार
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज अपने दो कैबिनेट मंत्रियों गायत्री प्रजापति और राजकिशोर को बर्खास्त कर दिया. उधर दिल्ली में मौजूद मुलायम सिंह ने कहा है कि मंत्रियों को बर्खास्त करने से पहले उन्हें बताया नहीं गया. माइनिंग मिनिस्टर गायत्री प्रजापति के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई जांच चल रही है. सरकार ने सीबीआई जांच न कराने के लिए हाईकोर्ट से दरख्वास्त की थी जो हाईकोर्ट ने नामंजूर कर दी. अदालत ने जल्द स्टेटस रिपोर्ट देने के लिए कहा. इसके बाद सरकार को गायत्री प्रजापति को बर्खास्त करना पड़ा.    

अखिलेश यादव के इस कदम को डेमैज कंट्रोल बताया जा रहा है, ताकि सरकार की छवि को सुधारा जा सके. राज्य में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस से राहुल गांधी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का पूरा ध्यान यूपी चुनावों की ओर है और वे सत्ता से सपा को उखाड़ फेंकने के लिए प्रचार करते दिख रहे हैं.
    
गायत्री आलाकमान के इतने पसंदीदा मंत्री थे कि उन्हें तीन बार प्रमोशन मिला. पहले राज्यमंत्री बने लेकिन तभी उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. इसके बावजूद उन्हें तरक्की देकर स्वतंत्र प्रभार देकर राज्यमंत्री बनाया गया. उनकी बदनामी जब और बढ़ गई तो उन्हें प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बना दिया गया. जब हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया तो सरकार उसे रुकवाने के कोर्ट पहुंच गई. लेकिन कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज करते हुए पूछा ''अगर माइनिंग में भ्रष्टाचार नहीं हुआ है तो फिर आप सीबीआई जांच से क्यों डर रहे हैं?''

कोर्ट ने आज सीबीआई से कहा कि जांच की स्टेटटस रिपोर्ट जल्द तैयार कर कोर्ट को पेश की जाए. लगता है कि कोर्ट के इस रुख को देखते हुए ही उन्हें बर्खास्त करना पड़ा. समाजवादी पार्टी में राज्यमंत्री का दर्जा रखने वाले अखिलेश यादव के करीबी नावेद सिद्दीकी कहते हैं ''किसी के बारे में जांच करने में थोड़ा वक्त लगता है. और जब मुख्यमंत्री जी के सामने कुछ ऐसी बातें सामने आई होंगी तभी उन्होंने उन्हें बर्खास्त कर यह मैसेज दिया है कि सरकार भ्रष्टाचार बर्दास्त नहीं करेंगी.''   

सियासी हलकों में कहते हैं कि गायत्री को अखिलेश पसंद नहीं करते, लेकिन वे मुलायम की पसंद हैं. उनकी बदनामी का अंदाज सिर्फ इससे लगा सकते हैं  कि उनके खिलाफ करीब आधा दर्जन लोगों ने लोकायुक्त में शिकायत की और अवैध माइनिंग पर करीब 60 जनहित याचिकाएं हाईकोर्ट में आईं. एक शिकायतकर्ता ओम शंकर द्विवेदी ने 1750 पन्नों की शिकायत लोकायुक्त को की जिसमें इल्जाम लगाया गया कि  गायत्री सन 2002 तक बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) थे. सन 2012 के चुनाव के वक्त उनके पास एक करोड़ 81 लाख की जायजाद थी. अब उन्होंने अपने करीब 21 करीबी लोगों के नाम 84 संपत्तियां खरीदी हैं. इन जायजादों की बाजार में कीमत 1500 करोड़ है. हलांकि द्विवेदी ने अचानक अपनी शिकायत वापस ले ली.    

गायत्री के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत करने वालीं नूतन ठाकुर कहती हैं कि माइनिंग में भ्रष्टाचार बहुत बढ़ा है. ''जितनी माइनिंग का परमिट है उससे 20-25 गुनी ज्यादा गैरकानूनी माइनिंग की जा रही है. यही नहीं, जहां परमीशन नहीं है वहां भी माइनिंग की जा रही है. इसमें करोड़ों रुपये की रोज की वसूली हो रही है. ''

दूसरे बर्खास्त मंत्री राजकिशोर की भी काफी बदनामी थी. जिससे उनसे उद्यान विभाग ले लिया गया था. उन्हें लघु सिंचाई और पंचायती राज विभाग दिया गया, लेकिन इल्जामों ने पीछा नहीं छोड़ा. यही नहीं, जब बर्खास्त हुए तो उनके इलाके में तमाम लोगों ने लड्डू बांटे.       

भाजपा के प्रांतीय महासचिव विजय बहादुर पाठक ने खनन मंत्री की बर्खास्तगी को महज दिखावा करार देते हुए कहा कि हाईकोर्ट से डरे मुख्यमंत्री ने मजबूरन यह कदम उठाया है.पाठक ने कहा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पिछले साढ़े चार साल तक प्रजापति के भ्रष्टाचार के मूकदर्शक रहे। हाईकोर्ट ने जब प्रजापति द्वारा प्रोत्साहित किए गए अवैध खनन की सीबीआई जांच के आदेश को वापस लेने की सरकार की अर्जी खारिज कर दी, तब मुख्यमंत्री के पास प्रजापति को बर्खास्त करने के सिवा कोई चारा नहीं था.

कांग्रेस विधायक रीता बहुगुणा जोशी ने इस बारे में कहा कि प्रदेश में हर तरफ अवैध खनन हो रहा है और यह जगजाहिर है कि प्रजापति ही इसे बढ़ावा दे रहे थे. जब हाईकोर्ट ने इस पर गंभीर रुख अख्तियार कर लिया तो मुख्यमंत्री ने मजबूरन प्रजापति को बर्खास्त कर दिया. उन्होंने कहा कि अखिलेश का प्रजापति को बर्खास्त करना महज एक छलावा है.
(इनपुट भाषा से भी)


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