योगी सरकार में 80 की जगह हो सकते हैं 50 मंत्रालय, कई मंत्रियों की जा सकती है कुर्सी

उत्तर प्रदेश में जल्द ही मंत्रिमंडल में फेरबदल देखने को मिल सकता है. मंगलवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरएसएस के नेताओं से मिले. इस बैठक में यूपी में मंत्रालयों की संख्या 80 से घटाकर 50 करने पर विचार किया गया.

योगी सरकार में 80 की जगह हो सकते हैं 50 मंत्रालय, कई मंत्रियों की जा सकती है कुर्सी

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में हो सकता है फेरबदल

खास बातें

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरएसएस के नेताओं से मिले
  • यूपी में मंत्रालयों की संख्या 80 से घटाकर 50 करने पर विचार किया गया
  • कई मंत्रियों की कुर्सी चली जाएगी
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में जल्द ही मंत्रिमंडल में फेरबदल देखने को मिल सकता है. मंगलवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरएसएस के नेताओं से मिले. इस बैठक में यूपी में मंत्रालयों की संख्या 80 से घटाकर 50 करने पर विचार किया गया. अगर ऐसा होता है तो कई मंत्रियों की कुर्सी चली जाएगी. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र राम मंदिर समेत कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. लोक सभा उपचुनावों में हार के बाद से ही यूपी की योगी सरकार के कामकाज पर सवाल उठने लगे हैं.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव भैय्याजी जोशी और वरिष्ठ नेता कृष्ण गोपाल से मिलने खासतौर से दिल्ली आए योगी आदित्यनाथ. बाद में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी वहां पहुंचे हालांकि संघ सूत्रों के अनुसार योगी की मुलाकात भागवत से नहीं हुई. सुबह दिल्ली में संघ नेताओं से मिलने के बाद वे शाम को लखनऊ में भी संघ नेताओं से मिले. यह मुलाकात अयोध्या में संत सम्मेलन के एक ही दिन बाद हुई जहां संतों ने राम मंदिर निर्माण में देरी को लेकर नाराजगी जताई थी. 

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राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य रामविलास वेदांती ने कहा कि इस सम्मेलन में योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे, जिन्होंने संतों की नाराजगी को करीब से देखा. हालांकि योगी ने अदालत के फैसले में देरी के लिए नाम लिए बिना कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पर निशाना साधा. 
 
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माना जा रहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संघ नेताओं को राम मंदिर को लेकर संतों के रुख से भी अवगत कराया. बीजेपी के मिशन 2019 के लिए यूपी एक बड़ी चुनौती बन कर उभरा है. लोक सभा उपचुनावों में हार के बाद से ही योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं. रही सही कसर विपक्षी एकता ने पूरी कर दी है. संघ और बीजेपी को यह एहसास है कि राम मंदिर के मुद्दे पर अब सिर्फ बातों से कुछ नहीं होगा. 

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