नई दिल्ली: बीते हफ्ते में राज्यसभा में नेशनल हैराल्ड मसले पर हंगामा करती आई कांग्रेस अब डैमेज कंट्रोल की मुद्रा में है। पार्टी के आला नेता खुलकर कह रहे हैं कि संसद में जारी गतिरोध का संबंध जीएसटी या नेशनल हैराल्ड मसले से है ही नहीं। संसद पर हमले की चौदहवीं बरसी पर तमाम सांसद परिसर में श्रद्धांजलि सभा के लिए इकट्ठे हुए, लेकिन राजनीतिक कड़वाहट यहां भी नजर आई।
नेशनल हैराल्ड मसले पर 20 बार स्थगित हुई कार्यवाही
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन समेत सत्तापक्ष और विपक्ष के तमाम नेताओं ने संसद पर हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। माहौल गमगीन था, लेकिन सियासी तल्खी कहां छुपने वाली थी। नेशनल हैराल्ड मसले पर बीते चार दिनों में राज्यसभा की कार्यवाही 20 से ज्यादा बार स्थगित हुई। अब कांग्रेस को अहसास हो गया है कि हैराल्ड मसले पर संसद को ठप करने से जनता में गलत संदेश जा रहा है। लिहाजा उसके सुर बदल गए हैं। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि 'यह कौन कह रहा है कि हम नेशनल हैराल्ड मसले पर ठप कर रहे हैं, हमारा विरोध सरकार के रवैए के खिलाफ है।'
4 करोड़ 52 लाख 40 हजार रुपये बरबाद
संसद का शीत सत्र 23 दिसंबर तक है। राज्यसभा की कार्यसूची में कुल 16 विधेयक हैं। जीएसटी बिल के लिए 4 घंटे, रीयल एस्टेट बिल के लिए 3 घंटे और व्हिसिल ब्लोअर बिल के लिए 2 घंटे का समय तय किया जा चुका है। फिलहाल तो यह तय है कि यह विधेयक मौजूदा सत्र में भी हंगामे की भेंट चढ़ जाएंगे। संसद को चलाने में कुल 29000 रुपये प्रति मिनट खर्च होते हैं। राज्यसभा में अब तक कामकाज के कुल 26 घंटे बरबाद हो चुके हैं। यानि कि जनता की गाढ़ी कमाई के 4 करोड़ 52 लाख 40 हजार रुपये बरबाद हो चुके हैं। केन्द्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला कहती हैं कि इकॉनोमिक कॉस्ट तो होती है साथ में इससे देश का विकास भी अवरुद्ध होता है। अब देखना होगा कि सोमवार को सरकार और कांग्रेस के बीच बातचीत में क्या कोई ऐसा रास्ता निकल सकता है, जिससे कम से कम जीएसटी बिल पास हो पाए।