उत्तर प्रदेश : खेत में मिला नाबालिग का शव, परिजनों ने लगाया रेप का आरोप

पुलिस ने कहा कि उन्होंने शरीर के अंगों को ऑटोप्सी के लिए भेज दिया है और बताया कि अपराध की जांच की जा रही है. लड़की अनुसूचित जाति समुदाय से थी और आरोपी भी इसी समुदाय से है.

उत्तर प्रदेश : खेत में मिला नाबालिग का शव, परिजनों ने लगाया रेप का आरोप

लखनऊ :

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के एक गांव में 26 सितंबर को लापता हुई एक लड़की का शव एक खेत में कथित तौर पर क्षत-विक्षत हालत में मिला है. पुलिस ने कहा कि इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है और दोनों ही उस लड़की के  रिश्तेदार बताए जा रहे हैं. 

यूपी के हाथरस में 20 साल की एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद पीड़िता के शव को पुलिस द्वारा बिना परिजनों की अनुमति के जलाए जाने के बाद ये एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है.  कानपुर देहात की घटना में मृतक नाबालिग के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि उसकी हत्या करने से पहले उसके साथ बलात्कार किया गया था.

पुलिस ने कहा कि उन्होंने शरीर के अंगों को ऑटोप्सी के लिए भेज दिया है और बताया कि अपराध की जांच की जा रही है. लड़की अनुसूचित जाति समुदाय से थी और आरोपी भी इसी समुदाय से है. कानपुर देहात के पुलिस अधीक्षक केके चौधरी ने कहा, "लड़की के पिता ने कहा कि उनका भूमि विवाद था और दो लोगों ने उन्हें धमकी दी थी कि उनकी नाबालिग बेटी को मार देंगे है. हमने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ कर रहे हैं."

तस्वीरों में देख सकते हैं कि पुलिसकर्मियों का एक बड़ा समूह एक पंक्ति में एक बंजर क्षेत्र के किनारे पर एक झाड़ियों की ओर चलते हुए दिखाई दे रहा है. वहां उन्हें लड़की के शरीर के कुछ हिस्से बिखरे हुए मिले. भयावह दृश्यों को देखकर लड़की के परिवार के सदस्य टूट जाते हैं.

बता दें कि हाथरस की घटना को लेकर देश भर में यूपी पुलिस और सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी शुक्रवार को ऐसा ही एक प्रदर्शन हुआ. जिसमें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने हाथरस केस के चारों आरोपियों को फांसी देने की मांग की.

सत्तारूढ़ बीजेपी जो महिलाओं के खिलाफ भयावह अपराधों को रोकने के लिए अपनी स्पष्ट अक्षमता पर दबाव में है - हाथरस मामले के बाद से राज्य से कम से कम दो और हमले और बलात्कार के केस रिपोर्ट किए गए हैं, जबकि इससे पहले पार्टी ने विपक्ष द्वारा विरोध प्रदर्शन को "राजनीतिक स्टंट" के रूप में खारिज कर दिया गया था

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