गुजरात, झारखंड के बाद अब यूपी में भी गरीब सवर्णों को मिलेगा 10 प्रतिशत आरक्षण, कैबिनेट ने किया फैसला

Reservation for general category: गुजरात, झारखंड के बाद अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी गरीब अगड़ों को दस प्रतिशत आरक्षण देने पर मुहर लगा दी है.

गुजरात, झारखंड के बाद अब यूपी में भी गरीब सवर्णों को मिलेगा 10 प्रतिशत आरक्षण, कैबिनेट ने किया फैसला

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फाइल फोटो.

खास बातें

  • 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने वाला तीसरा राज्य बना उत्तर प्रदेश
  • गुजरात और झारखंड में लागू हो चुकी है गरीब अगड़ों को आरक्षण व्यवस्था
  • मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर अगड़ों के लिए पास कराया था बिल
नई दिल्ली:

गुजरात और झारखंड के बाद अब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी गरीब अगड़ों को दस प्रतिशत आरक्षण देने पर मुहर लगा दी है. यूपी कैबिनेट की शुक्रवार को हुई बैठक में इस पर फैसला हुआ है. उत्तर-प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बैठक के बाद कैबिनेट में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी. केंद्र सरकार की तरफ से सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण व्यवस्था को इस प्रकार अब तक तीन राज्य लागू कर चुके हैं.  लोकसभा और राज्यसभा में बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संबंधित संवैधानिक संशोधन को मंजूरी  दी थी. सबसे पहले गुजरात  सरकार ने इस फैसले को लागू किया था. गुजरात सरकार ने एक विज्ञप्ति में कहा था, “14 जनवरी को उत्तरायण शुरू होने के साथ सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा.”इसमें कहा गया कि आरक्षण की नई व्यवस्था उन दाखिलों और नौकरियों के लिये भी प्रभावी होगी जिनके लिये विज्ञापन 14 जनवरी से पहले जारी हुआ हो लेकिन वास्तविक प्रक्रिया शुरू न हुई हो. 

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ऐसे मामलों में दाखिला प्रक्रिया और नौकरियों के लिये नए सिरे से घोषणाएं की जाएंगी. विज्ञप्ति में कहा गया कि भर्ती या दाखिला प्रक्रिया - परीक्षा या साक्षात्कार- 14 जनवरी से पहले शुरू हो चुके हैं तो 10 फीसदी आरक्षण लागू नहीं होगा. गुजरात कांग्रेस प्रमुख अमित चावड़ा ने इस घोषणा की निंदा करते हुए कहा कि इससे भ्रम फैलेगा. सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 जनवरी को मुहर लगाई जिसके बाद आरक्षण व्यवस्था को लागू करने के लिए 8 जनवरी को लोकसभा में संविधान का 124वां संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया था. लंबी बहस के बाद यह विधेयक लोकसभा में पास हो गया.

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इसके अगले दिन राज्यसभा में इस संशोधन विधेयक को पेश किया गया और लंबी बहस के बाद यहां भी पास कर दिया गया. दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति कोविंद के पास भेजा गया. जहां राष्ट्रपति कोविंद ने भी बिल पर हस्ताक्षर कर अपनी मंजूरी दे दी. यह आरक्षण अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को मिलने वाले 49.5 फीसदी आरक्षण से अलग होगा. 

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