उत्तराखंड सरकार ने गंगोत्री मार्ग में नियमों की अनदेखी की बात मानी

उत्तराखंड सरकार ने गंगोत्री मार्ग में नियमों की अनदेखी की बात मानी

नई दिल्ली:

उत्तराखंड सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में स्वीकार किया है कि गंगोत्री के ईको-सेंसिटिव ज़ोन में बन रही सड़क पर जगह-जगह गैरकानूनी तरीके से मलबा जमा किया गया है. एनजीटी ने इस मामले में गुरुवार को उत्तराखंड सरकार, पर्यावरण मंत्रालय, सीमा सड़क संगठन और एनएचएआई को नोटिस जारी किया है, जिसमें सड़क के चौड़ीकरण प्रोजेक्ट में कानून की अनदेखी पर जवाब तलब किया गया है.

उत्तराखंड सरकार के एडीशनल एडवोकेट जनरल राहुल वर्मा ने कोर्ट में कहा, "मैं मानता हूं कि कई जगह सड़क पर गैरकानूनी तरीके से मलबा जमा किया गया है... इस पर कार्रवाई की जा रही है..."

एनजीटी एक याचिका की सुनवाई कर रही है, जिसमें उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री के बीच बन रहे सड़क प्रोजेक्ट के चौड़ीकरण के काम में पर्यावरण नियमों की अनदेखी की बात कही गई है. इसमें सड़क पर मलबा जमा करने और उसे नदी में गिराने से लेकर देवदार के पेड़ों की कटाई की ओर ध्यान खींचा गया है. गौरतलब है कि चारधाम यात्रा मार्ग में 12,000 करोड़ रुपये की लागत से चौड़ीकरण का काम कराया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल इस रास्ते में ऑल वेदर रोड बनाने का ऐलान किया है.

याचिकाकर्ता वीरेंद्र सिंह ने NDTV इंडिया से कहा, "हम चाहते हैं कि सड़क निर्माण के लिए पर्यावरण के जानकारों, भूविज्ञानियों और दूसरे जानकारों की एक समिति बने..." गंगोत्री मार्ग में सड़क को चौड़ीकरण के लिए कई पेड़ों को काटा जाना है. एक आरटीआई के जवाब में सरकार ने खुद माना था कि 3,500 पेड़ों को काटा जा रहा है. NDTV इंडिया ने जब इलाके का दौरा किया, तो पाया कि 5,000 से अधिक पेड़ों को कटान के लिए चिह्नित किया जा चुका है, जिनमें से ज़्यादातर देवदार के पेड़ हैं.

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इस रास्ते में कुछ तीन दर्जन से अधिक लैंडस्लाइड के खतरे वाले इलाकों को भी चिह्नित किया है. अब एनजीटी ने इस बारे में संबंधित पक्षों को 31 मई तक जवाब देने को कहा है.


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