त्रिपुरा में BJP ने ढहाया लेफ्ट का 'किला', नागालैंड में भी 'भगवा सरकार', मेघालय में पेच फंसा

त्रिपुरा में ढाई दशक पुराना वामपंथी क़िला ढह गया है. त्रिपुरा में 25 साल से लगातार सरकार चला रहे लेफ्ट के 'किले' को बीजेपी ने ढहा दिया है.

त्रिपुरा में BJP ने ढहाया लेफ्ट का 'किला', नागालैंड में भी 'भगवा सरकार', मेघालय में पेच फंसा

त्रिपुरा में 25 साल से लगातार सरकार चला रहे लेफ्ट के 'किले' को बीजेपी ने ढहा दिया है.

खास बातें

  • त्रिपुरा में ढाई दशक पुराना वामपंथी क़िला ढह गया
  • नागालैंड में भी समीकरण बीजेपी के पक्ष में
  • मेघालय में बीजेपी ग़ैर कांग्रेसी सरकार बनाने की कोशिश में जुटी
नई दिल्ली:

त्रिपुरा में ढाई दशक पुराना वामपंथी क़िला ढह गया है. पिछले चुनाव में जो बीजेपी की डेढ़ परसेंट वोट शेयर वाली पार्टी थी उसने इस चुनाव में लगभग तीन चौथाई बहुमत हासिल कर ली है. त्रिपुरा में 25 साल से लगातार सरकार चला रहे लेफ्ट के 'किले' को बीजेपी ने ढहा दिया है. नागालैंड में भी सरकार बनाने के समीकरण बीजेपी के पक्ष में नजर आ रहे हैं. 
नागालैंड में NDPP के नेता नेफ़ियू रियो मुख्यमंत्री के दावेदार हैं, वहां बीजेपी, एनडीपीपी और जेडीयू के साथ सरकार बनाने की स्थिति में है. मेघालय में भी बीजेपी ग़ैर कांग्रेसी सरकार बनाने की कोशिश में लग गई है.

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त्रिपुरा में भाजपा और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) गठबंधन को 59 सीटों में से 43 सीटों पर जीत मिली है. भाजपा की झोली में 35 सीटें आईं, जबकि आईपीएफटी 8 सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही. इस गठबंधन ने प्रदेश की सभी सुरक्षित 20 जनजातीय विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है. त्रिपुरा में भाजपा को 2013 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1.5 फीसदी वोट मिले थे और 50 में 49 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. जबकि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को 43 फीसदी वोट मिले हैं.

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वहीं, वाम मोर्चे को 2013 के चुनाव में कुल 50 सीटें मिली थीं और इस बार उसे सिर्फ 16 सीटें मिली हैं. माकपा और भाकपा गठबंधन को 44 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं, जो पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में लगभग छह फीसदी कम है. माकपा को अकेले 42.7 फीसदी वोट मिले हैं. मुख्यमंत्री माणिक सरकार धनपुर सीट पर विजयी हुए हैं. वह पिछले 20 साल से प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में 10 विधानसभा क्षेत्र में जीत मिली थी, लेकिन इस बार पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई.

प्रदेश के 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों पर 18 फरवरी को मतदान हुए थे. जनजातीय सुरक्षित सीट चारीलम में 12 मार्च को मतदान होगा. यहां माकपा उम्मीदवार नारायण देबबर्मा का निधन हो जाने से मतदान नहीं हो पाया था.

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नागालैंड में सत्तारूढ़ नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने 27 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि भाजपा की झोली में 11 सीटें आई हैं. मुख्यमंत्री टी.आर.जेलियांग के नेतृत्व में एनपीएफ पहले ही प्रस्ताव पारित कर चुकी है और उसने भाजपा के साथ गठबंधन में रहने की इच्छा जताई है. राज्य की 60 में से 59 सीटों पर चुनाव हुए थे. राज्य में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके नेफ्यू रियो को उत्तरी अंगामी-2 सीट से पहले ही निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया था.

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वहीं, मेघालय में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने 21 सीटें जीत ली हैं, जबकि पिछले चुनावों में पार्टी ने 60 में से 29 सीटें जीती थीं. भाजपा की संभावित गठंबधन साझेदार नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 19 सीटें जीती हैं. राज्य की 60 में से 59 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान हुआ था.


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