सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, व्यापमं के सारे मामले CBI को सौंपे, गवर्नर को भी नोटिस

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, व्यापमं के सारे मामले CBI को सौंपे, गवर्नर को भी नोटिस

सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर)

नई दिल्ली:

व्यापमं मामले पर अहम फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सारे मामले सीबीआई को सौंप दिए हैं। हालांकि ये जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होगी या नहीं, इसके लिए कोर्ट ने सीबीआई से 24 जलाई तक जवाब मांगा है।

इसके साथ ही कोर्ट ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव को पद से हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्यपाल, केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस देकर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच पर फैसला करने के बजाय पल्ला झाड़ (मामले से) लिया और गेंद हमारे पाले में डाल दी।

दरअसल, कोर्ट में आज व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच की मांग और मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव को हटाने की याचिका पर सुनवाई हो रही थी, वहीं एक अन्य याचिका में हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को ही इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की हामी भरी है और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका के समर्थन की भी बात कही थी।

क्या है व्यापमं
-व्यापमं यानी मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल
-1982 में व्यापमं की स्थापना
-मेडिकल, इंजीनियरिंग, कृषि, मैनेजमेंट में दाखिले के लिए गठन
-2008 में व्यापमं का दायरा बढ़ाया गया
-एडमिशन के साथ-साथ अब नौकरियों के लिए भी परीक्षा
-शिक्षक, कांस्टेबल, सब-इंस्पेक्टर की बहाली के लिए परीक्षा
-फ़ूड इंस्पेक्टर, एक्साइज़ इंस्पेक्टर, वन और जेल गार्ड की बहाली
-2007 से 2013 के बीच एडमिशन-नौकरियों में बड़े पैमाने पर घोटाला
-घोटाले से 76 लाख लोगों पर असर

कैसे सामने आया घोटाला
-5 जुलाई 2009 को पहली बार सामने आया घोटाला
-इंदौर में मेडिकल परीक्षा का पेपर लीक होने की शिकायत दर्ज
-17 दिसंबर 2009 को सरकार ने जांच के लिए कमेटी बनाई
-2009 के बाद भी सुनियोजित ढंग से घोटाला जारी रहा
-2010, 2011, 2012, 2013 में भी घोटाला
-शिवराज चौहान पर घोटाले की अनदेखी का आरोप
-अब तक 140 से ज़्यादा FIR दर्ज हो चुकी हैं
-करीब 3800 आरोपी हैं, जिनमें से 800 फ़रार हैं

कैसे-कैसे आरोपी
तत्कालीन शिक्षा मंत्री, उनके सहयोगी
परीक्षा मंडल के अधिकारी
बिचौलिये
कॉपी कराने वाले
फर्जी नाम से परीक्षा में बैठने वाले
अभिभावक और छात्र

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कैसे हुआ घोटाला
नेताओं के कहने पर बड़े पैमाने पर धांधली
पैसे लेकर सरकारी नौकरी की परीक्षा पास कराईं
मेडिकल, डेंटल और दूसरी परीक्षाओं में नंबर बदलवाए
नकल रैकेट को बढ़ावा और फर्जीवाड़ा किया
कई फर्जी लोग परीक्षा देने बैठे