'15 साल से डबल इंजन की सरकार ने बिहार को क्या दिया है?' पढ़ें तेजस्वी यादव का पूरा इंटरव्यू...

"बिहार में कई मंडियां हैं. पहले पूर्णिया में मंडी हुआ करती थी. यहां जितनी भी मंडिया थी नीतीश कुमार जी ने 2006 में ही उनको बंद करा दिया. इसका एक कारण यहां पर एपीएमसी एक्ट बंद हो गया. "

मधुबनी:

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Assembly Elections 2020) में 10 लाख सरकारी नौकरी के वादे से युवा वोटरों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने वाले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने (Tejashwi Yadav) 15 साल से बिहार की सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को कड़ी चुनौती देते दिख रहे हैं. तेजस्वी यादव का कहना है कि उनका रोजगार वादा हवा-हवाई नहीं हैं.  

मधुबनी में चुनाव प्रचार के बीच NDTV के संवाददाता उमाशंकर सिंह ने तेजस्वी यादव से एक्सक्लूसिव (Exclusive) बातचीत में बताया कि उनकी सरकार बनने पर वो किस तरह से अपने इस वादे पूरा करेंगे.

प्रश्न- आपने रोजगार का मुद्दा दिया लेकिन नीतीश जी कहते हैं कि ये बोगस मुद्दा है. 
उत्तर- नीतीश कुमार जी पूरी तरह थक चुके हैं. बिहार उनसे संभल नहीं रहा है. आप देखिए बिहार में क्या-क्या मुद्दे हैं… कमाई, दवाई, पढ़ाई और सिंचाई, नीतीश कुमार जी ने सब चौपट कर रखा है. वह किसी विषय पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसीलिए हमने कहा है कि जो खाली पद हैं उनको भरेंगे नहीं क्या? अगर खाली पद नहीं भरेंगे तो शिक्षा कैसे सुधरेगी अलग-अलग विषयों की टीचर नहीं होंगे तो...

प्रश्न- तो आप कह रहे हैं जो वादा किया है सत्ता में आने पर तुरंत पूरा करेंगे?
उत्तर-पहली कलम से 10 लाख सरकारी नौकरी... पहले मंत्रिमंडल की बैठक में... यह प्रैक्टिकली होने वाला है. हम कहने को 50 लाख या एक करोड़ कह सकते थे, लेकिन हमारे जो अर्थशास्त्र के विद्वान हैं, उन सब से बातचीत करके ही हमने यह फैसला किया है साढ़े चार लाख पद रिक्त पड़े हैं साढ़े पांच लाख राष्ट्रीय औसत के मुकाबले आने वाले हैं.

प्रश्न- मोदी जी भी 2014 में जब सत्ता में आए तो 2 करोड़ रोजगार की बात कहकर आए थे. लेकिन सत्ता में आते ही भूल गए. तो कहीं आप भी तो... कहीं आपके साथ भी तो ऐसा नहीं होगा?
उत्तर- 
हम हवाहवाई भाषणबाजी नहीं चाहते हैं क्योंकि हमें लंबी राजनीति करनी है और जो चीज प्रैक्टिकली संभव है (उसी की बात करते हैं). पैसा है, खाली पदों को भरना है. राष्ट्रीय औसत के मुकाबले लाना है, जब आदमी चांद पर जा सकता है तो बिहार में कारखाने नहीं लग सकते हैं? क्या नौकरियां नहीं भरी जा सकती हैं? खाली पदों को छोड़ना बेवकूफी वाली बातें हैं.

प्रश्न- पीएम मोदी भ्रष्टाचार के युवराज कहकर संबोधित करते हैं.
उत्तर- प्रधानमंत्री किसी को भी युवराज बोल सकते हैं क्योंकि उनके पास बोलने के लिए कुछ नहीं है. 15 साल से डबल इंजन की सरकार ने बिहार को क्या दिया है? लोकल बॉडी से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक एनडीए की सरकार है लेकिन आखिर बिहार को क्या मिला? कहां गया स्पेशल पैकेज? कहां गया स्पेशल राज्य का दर्जा? वह नीति आयोग की रिपोर्ट ही पढ़ लें... हर सूचकांक में बिहार के फिसड्डी है. स्वास्थ्य-शिक्षा का तो पूछिए ही मत. यह उन्हीं की रिपोर्ट है. जंगल राज की बात कर रहे हैं. जरा बताएं हम भी उनके साथ 18 महीने सरकार में रहे हैं. क्राइम रिकॉर्ड निकाल कर देख लीजिए हमारे रहते हुए अपराध के क्या आंकड़े थे और अब बीजेपी के आने के बाद वह आंकड़े बढ़ गए हैं... प्रधानमंत्री कुछ भी कह सकते हैं. हम तो उनसे बड़े आदर और सम्मान के साथ पूछ रहे हैं कि प्रधानमंत्री रोजगार के बारे में बताइए. दवाई, पढ़ाई, सिंचाई और कमाई के बारे में बात कीजिए.

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प्रश्न- भाजपा लगातार 15 सालों के लालू जी के शासन पर बात कर रही है.
उत्तर- मैं वर्तमान और भविष्य की चिंता करता हूं. भविष्य को बेहतर बनाना है. इन लोगों को इतिहास के बासी पन्ने मुबारक हों. आपने 15 साल में क्या किया? 60 घोटाले किए जिसमें 30,000 करोड़ का बंदरबांट हुआ. भ्रष्टाचार की बात करते हैं तो आप ब्लॉक, थाने में जाकर किसी से भी पूछिए कि भ्रष्टाचार बढ़ा है या नहीं बढ़ा है?

प्रश्न- लालू जी ने सामाजिक बदलाव के बारे में काम किया, जैसा आरजेडी का कहना है. आप किस दिशा में काम करेंगे? क्या आपका बदलाव... आर्थिक...
उत्तर- आर्थिक न्याय तभी सफल है जब आप सामाजिक कर सकते हैं. सामाजिक न्याय एक आधार था. वह युग कुछ और था अब का दौर अलग है. अगर आपको आर्थिक न्याय देना है तो जागरूक करना होगा, वहीं काम लालू जी ने सामाजिक न्याय से किया.

प्रश्न- आपने कहा कि नीतीश जी पैर पकड़कर आए थे तो अगर फिर ऐसी स्थिति बनी तो क्या चाचा से...
उत्तर- हम नीति, विचारधारा, सिद्धांत से समझौता नहीं करते. नीतीश जी की पहली और आखिरी प्राथमिकता है उनकी प्यारी सी कुर्सी. वे उसके लिए विचार और अंतरात्मा सब कुछ भूल सकते हैं. हम जनादेश का सम्मान करना जानते हैं, अपमान करना नहीं. नीतीश कुमार जी ने 4 साल में 4 सरकारें बनाईं. ये मैंडेट अगर हंग भी होता है तो वह बीजेपी और नीतीश जी के खिलाफ है. तो जनता ने जिस के खिलाफ मत दिया हम उससे कैसे समझौता कर सकते हैं.

प्रश्न- आप मानेंगे कि भाजपा-नीतीश के बीच सब कुछ अच्छा नहीं चल रह है. अब कोई माफी नहीं मिलेगी?
उत्तर- 
पैर पकड़ कर आए थे तो उन्होंने विश्वासघात भी किया है. एक बार मौका दिया गया और एक बार मौका दिया भी जाना चाहिए. सांप्रदायिकता को रोकने के लिए महागठबंधन बना था लेकिन हम लोगों को पता नहीं था कि यह चोर दरवाजे से भाजपा सरकार को ही वापस ले आएंगे, जनादेश का अपमान कर देंगे. अब एक बार देख चुके हैं उनको.

प्रश्न- राजनीति में कोई स्थाई मित्र-शत्रु नहीं होता. जिस तरह की परिस्थितियां बन रही हैं...
उत्तर- देश में विचारधारा, नीति, सिद्धांत की थोड़ी राजनीति बची हुई है. उसे बचाने दीजिए. स्वार्थ-सत्ता आनी होती तो हम भी भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना चुके होते.

प्रश्न- पोस्ट पोल सिनेरियो में...
उत्तर- आपने जो सवाल पूछा है वह बिहार की जनता होने ही नहीं देगी. बिहार की जनता हमेशा स्पष्ट बहुमत देती है. महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलेगा.

प्रश्न- बिहार की छवि... जिस तरह प्रवास हुआ. मजदूर आए. अब वो भूलकर वापस जा रहे हैं. तो क्या आप रोजगार के मौके बनाएंगे. जो वे वापस बिहार आएं और खुशहाल बनाएं.
उत्तर- बगल के मधुबनी में चीनी मिल है, मोतिहारी में चीनी मिल है, कई पेपर मिल हैं, जूट मिल हैं. बिहार में मखाना होता है. केला होता है. मक्का होता है. बंद मिलों को खुलवाना है. फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पड़ेंगे, तो रोजगार यहां पर मिलेगा. बिहार में टूरिज्म का स्कोप है. गौरवशाली इतिहास है. लोकतंत्र की जननी से लेकर सीता मैया, बोधगया, पहला विश्वविद्यालय से लेकर क्या नहीं है बिहार में... समुद्र मंथन नाग को जिस पर्वत से रगड़ा गया था, वह बिहार में है. ये सब चीजें होंगी तो बिहार में रोजगार के अवसर मिलेंगे. सरकारी नौकरी का फायदा भी है. लोग यही कमाएंगे, तो यहीं खर्च करेंगे पैसा. पैसा यहीं घूमेगा.

प्रश्न- मधुवनी के लोगों ने कहा कि तेजस्वी से उम्मीद है कि वे यहां मिलें शुरु करवाएंगे. या साढ़े तीन सौ-एकड़ जमीन पर कोई कारखाना देंगे.
उत्तर-मधुबनी का इलाका पान, मछली और मखाना के लिए बड़ा प्रसिद्ध है. यहां पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट लग सकते हैं. मखाना बहुत होता है. फॉक्स-नट होगा है. जिसकी डिमांड अमेरिका तक है. उस मखाने को डब्बे में बंद कर बाहर भेजा जाता है. उसका फायदा यहां के किसान को क्या मिल रहा है? ऐसी नीतियां आएगी जिसमें कीमतें यह नहीं कर सकते तो आप किसानों का शोषण करा रहे हो. तो बिहार कैसे आगे बढ़ेगा? नए कानून कृषि को निजीकरण की ओर ले जा रहे हैं. इन सब का हम विरोध करेंगे और यह काम संभव है इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति होनी चाहिए.

प्रश्न- मैं भी बिहार से आता हूं. यहां जोत का आकार छोटा है. सरप्लस प्रोडक्शन है नहीं. बड़े किसान नहीं है. तो कैसे सरप्लस प्रोडक्शन करेंगे?
उत्तर- बिहार में कई मंडियां हैं. पहले पूर्णिया में मंडी हुआ करती थी. यहां जितनी भी मंडिया थी नीतीश कुमार जी ने 2006 में ही उनको बंद करा दिया. इसका एक कारण यहां पर एपीएमसी एक्ट बंद हो गया. इसमें किसान और गरीब होता चला गया. किसान ने किसानी छोड़कर मजदूरी शुरू कर दी और पलायन कर गया. इसीलिए 2006 के बाद कृषि क्षेत्र बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इनका जो कृषि रोडमैप है उसका क्या हुआ है? 70% बिहार कृषि पर निर्भर है. लेकिन नीतीश जी को 15 साल बाद याद आ रहा है कि हर खेत तक पानी पहुंचाना है. हम बाढ़ वाले इलाके में हैं और देखिए बाढ़ का पानी अब तक नहीं गया है. 

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प्रश्न- उनकी भाषा भी कुछ अजीब हो गई है. 
उत्तर- 
उनकी भाषा आशीर्वाद है मेरे लिए. नीतीश जी बाढ़ के लिए नहीं निकले, कोरोना में 144 दिन नहीं निकले, मजदूरों को अपमानित किया गया. चिट्ठी लिखी गई कि ये लोग आएंगे तो अपराध बढ़ेगा. कोरोना लाएंगे... तो अब क्यों निकल रहे हैं वोट के लिए… अभी भी तो कोरोना है. अब उनको कैसा महसूस होता होगा जब वह बाढ़ का पानी देख रहे हैं?