क्या बदल जाएगी इस बार मोदी सरकार में NSA अजीत डोभाल और प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा की भूमिका?

प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा 74 साल के हो चुके हैं. 2014 में अध्यादेश के जरिए उनको इस पद पर लाया गया था, लेकिन 75 साल की उम्र सीमा के साथ उनकी संभावना पर विराम लगता है.  प्रधानमंत्री एक आचार संहिता का पालन करते हैं, जहां उनकी मंत्रिपरिषद में 75 साल से अधिक उम्र के नेता नहीं होते हैं.

क्या बदल जाएगी इस बार मोदी सरकार में  NSA अजीत डोभाल और प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा की भूमिका?

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र की पहली पारी में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) देश में सबसे सर्वशक्तिमान केंद्रीय प्राधिकार बना रहा. अब यह अपने दूसरे अवतार में है, जहां इसे बहुत कुछ करना है. यह प्रधानमंत्री की पंसदीदा योजनाओं की निगरानी करता रहेगा, जोकि जन, आधार और मोबाइल यानी जैम से जुड़ी हैं. जैम समाज के पिरामिड के निचले स्तर पर रहने वाले गरीबों और वंचितों को सरकारी योजनाओं सीधा लाभ प्रदान करता है. मोदी का लोकलुभावन विकास या हिंदुत्व का नया अवतार 2019 के चुनाव में अपना आकर्षण दिखा चुका है और प्रधानमंत्री इसकी आभा कम होने नहीं देना चाहते हैं. हालांकि मोदी की दूसरी पारी में पीएमओ में भी फेरबदल देखने को मिलेगा. रायसीना हिल में तीन शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों की भूमिका को लेकर काफी कयासबाजी चल रही है. ये अधिकारी हैं-प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और अतिरिक्त प्रधान सचिव पी. के. मिश्रा. वे पीएमओ में अहमियत रखते हैं. सवाल है कि अगले पांच साल के लिए पीएमओ के नए अवतार में क्या वे बने रहेंगे. प्रधानमंत्री कार्यकाल के साथ तीनों का कार्यकाल समाप्त होता है.

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प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा 74 साल के हो चुके हैं. 2014 में अध्यादेश के जरिए उनको इस पद पर लाया गया था, लेकिन 75 साल की उम्र सीमा के साथ उनकी संभावना पर विराम लगता है.  प्रधानमंत्री एक आचार संहिता का पालन करते हैं, जहां उनकी मंत्रिपरिषद में 75 साल से अधिक उम्र के नेता नहीं होते हैं. शायद यही कारण है कि मुरली मनोहर जोशी और यशवंत सिन्हा जैसे कद्दावर नेताओं को 2014 में उनके मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया.  इस बार लालकृष्ण आडवाणी, जोशी और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्र महाजन को भी इसी कारण लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया. लेकिन मिश्रा को अभी 75 साल पार करने में एक साल बाकी है, इसलिए वह पद पर बने रह सकते हैं. नृपेंद्र मिश्रा को पद छोड़ने की स्थिति में यह तय है कि 70 वर्षीय पी. के. मिश्रा प्रधान सचिव का पदभार ग्रहण कर सकते हैं. 

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प्रधानमंत्री के सबसे सक्षम सलाहकारों में शुमार अजित डोभाल एनएसए बने रहेंगे. इसका मतलब यह है कि अतिरिक्त प्रधान सचिव की प्रोन्नति होने से उनकी जगह किसी अधिकारी की जरूरत होगी. कैबिनेट सचिव पी. के. सिन्हा 63 साल के हैं और वह जून के मध्य में सेवानिवृत्त हो रहे हैं. ऐसे में वह जूनियर मिश्रा की जगह लेंगे.

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शीर्ष स्तर के नौकरशाह के रूप में नृपेंद्र मिश्रा का लंबा और असाधारण कॅरियर रहा है. वह ऊर्वरक सचिव से लेकर दूरसंचार सचिव और विनियामक निकाय ट्राई के प्रमुख रहे हैं.  उत्तर प्रदेश काडर के 1967 बैच के आईएएस अधिकारी मिश्रा हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जॉन एफ कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से लोक प्रशासन में एमपीए हैं. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान, राजनीतिशास्त्र और लोक प्रशासन में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की है. प्रधान सचिव नीति निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. मिश्रा को एक सक्षम और व्यवसाय समर्थक प्रशासक होने का श्रेय जाता है. वह दयानिधि मारन के मंत्री के कार्यकाल के दौरान दूरसंचार सचिव रह चुके हैं और उनको ब्राडबैंड नीति का श्रेय जाता है. 

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अजित डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और वह अपना पूरा कॅरियर वस्तुत: आईबी (इंटेलीजेंस ब्यूरो) में बिताए हैं. वह पूर्व आईबी प्रमुख हैं. वह छह साल पाकिस्तान में रहे हैं.  वह पहले पुलिस अधिकारी हैं, जिनको 1988 में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था. चर्चा यह है कि उनको रक्षामंत्री या अमेरिका में भारत का राजदूत बनाया जा सकता है. सुरक्षा से संबंधित मसलों में वह कई मायने में प्रधानमंत्री की आंख और कान हैं और इस घटनाक्रम को करीब से जानने वालों की माने तो उनको पीएमओ से पूरी तरह अलग नहीं किया जा सकता है. 

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पीएमओ में प्रमोद कुमार मिश्रा एक अन्य मिश्रा हैं और सीनियर मिश्रा की तरह वह काफी शक्तिशाली नौकरशाह हैं.  यह जिक्र करना आवश्यक है कि मोदी द्वारा यह पद अपने सबसे भरोसेमंद नौकरशाह को पीएमओ में करीब रखने के लिए सृजित किया गया था. मिश्रा को महत्वाकांक्षी स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन का पदेन मिशन निदेशक का प्रभार भी दिया गया है. मिश्रा को प्रधानमंत्री का काफी करीबी माना जाता है. वह मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान 2001 और 2004 के बीच उनके प्रधान सचिव थे. 

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मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले मिश्रा ने मोदी के आरएसएस प्रचारक से गुजरात का मुख्यमंत्री बनने में केंद्रीय भूमिका निभाई थी. बाद में मिश्रा के 2008 में सेवानिवृत्त होने के एक दिन बाद मोदी ने उनको गुजरात विद्युत विनियामक आयोग का अध्यक्ष बना दिया.  बतौर प्रशासक अपने चार दशक के लंबे कॅरियर में मिश्रा केंद्र सरकार और गुजरात सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. 

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शरद पवार के कृषि मंत्री के कार्यकाल के दौरान वह एक दिसंबर, 2006 से लेकर 31 अगस्त, 2008 तक कृषि सचिव थे और उनको राष्ट्रीय कृषि विकास कार्यक्रम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन लागू करने का श्रेय जाता है. उनके कार्यकाल में कृषि क्षेत्र की जीडीपी में काफी वृद्धि हुई. बाद में वह नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड के सदस्य सचिव और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव रहे. 

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इनपुट : आईएनएस