भारत की पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी : जो भी बोया है, उसका फल तो मिलेगा ही

भारत की पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी : जो भी बोया है, उसका फल तो मिलेगा ही

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (दाएं) अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज़ शरीफ के साथ (फाइल फोटो)

खास बातें

  • यूएन में भारतीय प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान को चेताया
  • कहा, आतंकियों को अफगानिस्तान के पड़ोस में छिपने के ठिकाने न मिलने चाहिए
  • भारतीय दूत ने कहा, आपमें समझ है, तो शांति के अतिरिक्त कुछ भी मत बोइए
संयुक्त राष्ट्र:

आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद तथा उनके समर्थकों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई किए जाने पर ज़ोर देते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पड़ोसी पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा है, "जो आपने बोया है, उसका फल तो मिलेगा ही..."

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने सुरक्षा परिषद से कहा, "यदि हम अफगानिस्तान में स्थायी शांति चाहते हैं, तो हिंसा फैलाने वाले गुटों को अफगानिस्तान के पड़ोस में छिपने के ठिकाने नहीं दिए जाने चाहिए..."

भारत की ओर से यह टिप्पणी ऐसे समय में की गई है, जब एक ही दिन पहले देश की शीर्ष आतंकवादी-विरोधी संस्था नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को इसी साल जनवरी में पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड बताया है.

भारतीय दूत ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा, "आप जो भी बोएंगे, उसी का फल हासिल होगा... मेरे दोस्त, यदि आपमें कुछ भी समझ है, तो शांति के अतिरिक्त कुछ भी मत बोइए..."

बिना नाम लिए चीन की भी आलोचना करते हुए सैयद अकबरुद्दीन ने आतंकवाद से निपटने में संयुक्त राष्ट्र की असमर्थता के लिए यूएन से जुड़ी संस्थाओं में आई 'दरार' को दोषी ठहराया.

गौरतलब है कि अलकायदा तथा उसके सहयोगी आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने वाली कमेटी द्वारा मसूद अज़हर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों को चीन ने ही नाकाम किया है. सुरक्षा परिषद के सदस्य की हैसियत से चीन ने मुंबई में हुए 26/11 हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर कमांडर ज़की-उर-रहमान लखवी को पाकिस्तान द्वारा ज़मानत दिए जाने का भी बचाव किया.

सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय कानूनों के दायरे से बाहर निकलकर काम करने वाले आतंकवादी संगठनों तालिबान, अलकायदा और लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे उनके पहचाने हुए सहयोगी अफगानिस्तान के बाहर से जिस तरह समर्थन हासिल कर पा रहे हैं, उससे हमें निपटना ही होगा..."

उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह तय करना होगा कि 'न तो हम आतंकवाद के सामने झुकेंगे, और न ही उन उपलब्धियों को बेकार जाने देंगे, जो अफगानिस्तान में पिछले डेढ़ दशक में हासिल की गई हैं...'


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