प्रदर्शन : मांगे पूरी न होने पर जब किसानों ने पीया अपना यूरिन...

प्रदर्शन : मांगे पूरी न होने पर जब किसानों ने पीया अपना यूरिन...

नई दिल्‍ली:

कुछ साल पहले मध्यप्रदेश के खंडवा इलाके में अपनी मांगों लेकर जब किसानों ने पानी के अंदर खड़े होकर प्रदर्शन किया था, तब दुनियाभर में हलचल मच गई थी और इन लोगों के सामने सरकार को झुकना पड़ा था. हां, यह अलग बात है कि किसानों को दोबारा 2015 में इसी तरह प्रदर्शन करना पड़ा था. इसी तरह दुनिया में अलग-अलग तरह के प्रदर्शन हुआ करते हैं, लेकिन दिल्‍ली के जंतर-मंतर पर पिछले 40 दिनों से तमिलनाडु से आए करीब 134 किसान अपने अनोखे प्रदर्शन को लेकर सुर्खियों में है. इन 40 दिनों में इन किसानों ने अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन किए. कभी सांप का मांस खाकर प्रदर्शन किया, तो कभी चूहा अपने मुहं पर पकड़कर. शायद यह विश्‍वास करना मुश्किल है, लेकिन फिर भी यह सच है.

अपना यूरिन पीकर किसानों ने किया प्रदर्शन : शनिवार को जंतर-मंतर पर तब हड़कंप मच गया, जब यह किसान अपना यूरिन पीकर प्रदर्शन करने निकल पड़े. सभी किसान अपना यूरिन बोतल में लेकर आए और मीडिया के सामने पीना शुरू कर दिया. ऐसा देखते ही पुलिस हरकत में आई और किसानों को यूरिन पीने से रोका, लेकिन लेकिन तबतक दो किसान यूरिन पी चुके थे. फिर सभी किसानों ने अपने यूरिन को एक बाल्टी में जमा किया और अब वह इस यूरिन को तमिलनाडु सरकार के सामने पीने की योजना बना रहे हैं. एक किसान ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि वह सरकार को यह दिखाना चाहते हैं कि पानी न होने की वजह से किसान यूरिन पीने की स्थिति में आग गया है.
 

tamilnadu farmers protest

140 सालों में तमिलनाडु में सबसे बड़ा सूखा : सिर्फ खेती ही नहीं, किसानों को पीने की पानी की भी समस्या है. एक किसान ने कहा कि पानी लेने के लिए कई किलोमीटर सफर करना पड़ता है. किसान ने कहा तमिलनाडु में किसानों की समस्या ज्यादा है, लेकिन सरकार कुछ कर नहीं रही है. 140 सालों में तमिलनाडु में इतना बड़ा सूखा पड़ा है. कावेरी नदी में पानी ना आने की वजह से किसान परेशान हैं. किसान ने कहा, पिछले 40 दिनों से यह लोग रोड पर हैं. रोड पर खाते हैं और रोड पर ही सोते हैं. इनका कहना है रात को 9 बजे से लेकर सुबह 7 बजे तक पब्लिक टॉयलेट बंद हो जाने की वजह से इन किसानों को बाहर टॉयलेट करने के लिए जाना पड़ता है. एक किसान ने कहा कि उन्हें राजनीति नहीं करनी है. उनको राजनेता नहीं चाहिए, बल्कि एक अच्छा नेता चाहिए जो इनकी समस्या को समझ सके और इसका समाधान कर सके. अगर सरकार इनकी मांग नहीं पूरा करती है तो वे यहीं बैठेंगे. 
 
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हर दिन अलग-अलग तरह के प्रदर्शन : पहले दिन किसानों ने अर्धनग्न होकर प्रधानमंत्री दफ्तर से राष्ट्रपति भवन की तरफ मार्च किया था. दूसरे दिन कुछ किसान पेड़ के ऊपर चढ़ गए और आत्महत्या करने की धमकी दे डाली, पुलिस ने इन्हें नीचे उतार लिया. तीसरे दिन किसानों ने अपने पूरेशरीर को पत्तों से ढककर प्रदर्शन किया. 11 वें दिन सब किसानों ने जंतर-मंतर पर भौंककर प्रदर्शन किया. 14 वें दिन यह लोग चूहे पकड़ने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन गए और वहां से चूहे पकड़कर लाए, फिर चूहों को दांत से दबाकर प्रदर्शन किया. 16 वें दिन इन लोगों ने सांप का मांस खाया. जब उनसे पूछा गया कि वे सांप का मांस कहां से लाए तो किसानों का कहना था कि तमिलनाडु से कुछ किसान लेकर आए थे. इस तरह इन लोगों ने अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन किया. कभी भिखारी बने, कभी प्रधानमंत्री मोदी बन गए. एक दिन यह लोग निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन करने लगे तो एक दिन मिट्टी के ऊपर चावल रखकर खाए. कभी साड़ी पहनकर प्रदर्शन किया तो कभी महिला किसानों ने अपना मंगलसूत्र और चूडि़यां तोड़कर.
 
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क्या है किसानों की मांग : किसानों की जो मुख्य मांगें है वह है 60 साल से ज्यादा उम्र के किसानों को पेंशन दी जाए. किसानों की मदद के लिए सरकार सूखा राहत फंड बनाए. किसानों ने सरकारी बैंकों से जो लोन लिया है उसे माफ़ कर दिया जाए. पानी के सुविधा के लिए सभी नदियों को जोड़ा जाए.

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