क्या सीताराम येचुरी के हाथों में आएगी सीपीएम की कमान?

नई दिल्ली:

यह एक संयोग ही है कि राजनीतिक संकट से जूझ रही और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ रही वामपंथी पार्टी सीपीएम का 21वां महासम्मेलन बंगाल की खाड़ी पर बसे विशाखापट्टनम में हो रहा है। विशाखापट्टनम खुद पिछली 12 अक्टूबर को आए चक्रवाती तूफान हुदहुद में बरबाद हो गया था। पिछले 6 महीने में विशाखापट्टनम में ज़िंदगी पटरी पर लौट आई है, लेकिन एक के बाद एक चुनावी शिकस्त झेल रही सीपीएम के लिए राह इतनी आसान नहीं है।

पार्टी के 21वें महासम्मेलन के लिए, जिसे पार्टी कांग्रेस भी कहा जाता है, सीपीएम के 800 प्रतिनिधि देशभर से विशाखापट्टनम में जमा हो रहे हैं। इस बार का सम्मेलन इसलिए महत्वपूर्ण है कि करीब 10 साल तक सीपीएम के महासचिव के पद पर रहने के बाद प्रकाश करात इस पद से रिटायर हो रहे हैं। उनके उत्तराधिकारी के तौर पर सीपीएम के सांसद और पोलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी का नाम सबसे आगे चल रहा है। हालांकि प्रकाश करात ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत नें कहा, हमारी पार्टी में सेंट्रल कमेटी ही महासचिव का चुनाव करती है। हमारी पार्टी में ऐसा नहीं हो सकता कि मैं अपने उत्तराधिकारी का नाम घोषित करूं। अगले महासचिव का पता आपको विशाखापट्टनम में हमारी कांग्रेस के आखिरी दिन ही पता चलेगा।

करात के बयान और पार्टी में सूत्रों से बात करने पर पता चलता है कि महासचिव पद के लिए आखिरी दौर का मंथन तो ‘पार्टी कांग्रेस’ में ही होगा, लेकिन मौजूदा हालात में येचुरी के महासचिव बनने की संभावनाएं सबसे अधिक हैं। पार्टी महासम्मेलन में सबसे बड़ी इकाई है ,‘पार्टी कांग्रेस'। ‘पार्टी कांग्रेस’ ही सेंट्रल कमेटी का चुनाव करती है, जो करीब 75 से 80 सदस्यों की निर्णायक बॉडी है। सेंट्रल कमेटी की तुलना बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी या कांग्रेस की सीडब्लूसी से की जा सकती है। सीपीएम के वरिष्ठ नेता और पार्टी की महत्वपूर्ण सेंट्रल कमेटी के सदस्य नीलोत्पल बसु का कहना है, हमारी पार्टी में इस बात का महत्व बहुत अधिक नहीं है कि महासचिव कौन है, क्योंकि हर बड़ा फैसला और पार्टी की लाइन सेंट्रल कमेटी ही तय करती है। महासचिव का काम इसे लागू कराना और एक समन्वय बिठाना है।’

वर्तमान में पोलित ब्यूरो के तीन बड़े और वरिष्ठ नेताओं में प्रकाश करात, एसआर पिल्लई और सीताराम येचुरी हैं। ये तीनों ही 1992 में चेन्नई में हुई ‘पार्टी कांग्रेस’में पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए। उस वक्त पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सोच थी कि सीताराम येचुरी के मुखर चेहरे के तौर पर रहेंगे, जो मीडिया के साथ-साथ जनता के बीच रणनीति का प्रचार प्रसार करेंगे। एसआर पिल्लई और प्रकाश करात को मूल रूप से परदे के पीछे रहकर पार्टी की रणनीति बनाने और ‘बैकरूम बॉय’ का काम सौंपा गया।

2005 में हरिकिशन सिंह सुरजीत के रिटायर होने के बाद प्रकाश करात ने कमान संभाली। अगले साल 2006 में पार्टी को केरल और बंगाल में भारी जीत मिली, लेकिन उसके बाद सीपीएम को लगातार चुनावी हार का समाना करना पड़ा।

इसीलिए इस ‘पार्टी कांग्रेस’ में सीपीएम राजनीतिक प्रस्ताव के साथ-साथ पार्टी की रणनीति पर भी चर्चा करेगी, जिसके लिए एक रिव्यू रिपोर्ट इस ‘पार्टी कांग्रेस’ में रखी जा रही है। पिछले साल सीताराम येचुरी और प्रकाश करात के बीच पार्टी की लाइन को लागू करने में हुई गलतियों को लेकर मतभेद उभरे थे।  

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2004 लोकसभा चुनावों में सीपीएम के पास 44 सांसद थे और वह लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। आज उसके पास केवल 9 सांसद हैं। बंगाल और केरल में पार्टी सत्ता से बाहर हो चुकी है और केवल त्रिपुरा में ही उसकी सरकार बची है। अगले साल बंगाल और केरल दोनों ही जगह पार्टी को चुनाव का सामना करना है। दोनों ही राज्यों में सीपीएम के सामने कड़ी चुनौती है। ऐसे में पार्टी में कई लोग मानते हैं कि सीताराम येचुरी को अगला महासचिव बनाना ठीक रहेगा। लेकिन सूत्र ये भी कहते हैं कि एक खेमा आखिरी वक्त में एसआऱ पिल्लई का नाम भी आगे बढ़ा सकता है, जो कि वरीयता के क्रम में करात के बाद दूसरे नंबर पर हैं।


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