यह ख़बर 08 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

गोपाल कांडा : जूते की दुकान से गृहमंत्रालय तक का सफर

खास बातें

  • गीतिका शर्मा आत्महत्या मामले में फंसे हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा मैट्रिक की परीक्षा में फेल होने के बाद सिर्फ 15 साल में जूते की एक छोटी सी दुकान से मंत्रालय की कुर्सी तक पहुंच गए।
सिरसा / नई दिल्ली:

गीतिका शर्मा आत्महत्या मामले में फंसे हरियाणा के पूर्व गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा मैट्रिक की परीक्षा में फेल कर गए और 15 साल में जूते की एक छोटी सी दुकान खोल ली। इसके बाद रीयल एस्टेट से लेकर आईटी और फिर एमडीएलआर एयरलाइंस के जरिये कांडा ने कामयाबी की ऐसी उड़ान भरी कि वह हरियाणा के सबसे कामयाब कारोबारियों में शामिल हो गए। लेकिन ताकत का नशा, जब हद से आगे बढ़ जाए, तो बहकते कदम उल्टी गिनती शुरू कर देते हैं।

गोपाल कांडा की सियासत ही नहीं, उसकी दौलत भी चौंकाने वाली है। कभी उनकी जूते की छोटी सी दुकान हुआ करती थी। आज की तारीख में उनके पास ऐसा किलानुमा महल है, जिसकी कीमत 100 करोड़ के आसपास है। सिरसा−अलेनाबाद हाइवे पर ढाई एकड़ में फैला महलनुमा घर प्रतीक है हरियाणा में गोपाल कांडा की हैसियत का।

घर की चारदीवारी के भीतर हैलीपैड बना है और मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा भी यहां कई बार आ चुके हैं। महल की चारदीवारी ग्रीन बेल्ट में पड़ती है. लेकिन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग महकमे का नोटिस भी इसकी एक ईंट तक नहीं हिला पाया।

कांडा के सफर की शुरुआत जूते की एक दुकान से हुई, फिर 1996 में उन्होंने प्रॉपर्टी के कारोबार में कदम रखा और उसके बाद कामयाबी कदम चूमती चली गई। 15 साल में वह फर्श से अर्श तक जा पहुंचे। हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का साथ दे चुके कांडा ने 2004 में पलटी मारी और कांग्रेस की सरकार बनते ही उसके पाले में आ गए।

इसके बाद उनका कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता चला गया। एमडीएलआर एयरलाइंस तो नहीं चली, पर शॉपिंग मॉल और गोवा के होटल में कैसीनो, स्कूल, यूनिवर्सिटी और न्यूज चैनल चलते रहे। दौलत के साथ-साथ सियासी हैसियत भी बढ़ती चली गई और दबंगई इस कदर बढ़ गई कि संपत्ति की जांच करने आए आयकर विभाग के अफसरों तक को पीट दिया।

मंत्री बनने के बाद तो अपने विरोधियों से चुन-चुन कर बदले लिए। अप्रैल, 2010 में सिरसा में सरेबाजार इनेलो  नेता की पिटाई भी की। नवंबर, 2010 में कांडा की कार में गैंगरेप हुआ। इसके बाद पिछले साल उनकी कार से आगे निकलने के 'जुर्म' में क्रिकेटर अतुल वासन को भी बुरी तरह पीटा गया, लेकिन कांडा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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दबदबा इतना ज्यादा कि भाई गोविंद कांडा भी लालबत्ती लगी गाड़ी में पुलिस सुरक्षा के साथ खुलेआम घूमता है। लेकिन गीतिका शर्मा की खुदकुशी के बाद शायद गोपाल कांडा किस्मत, दौलत और रुतबे पर लगाम लग जाए, क्योंकि उन्हें विधायक बनाने वाली जनता ही आज उनके पुतले फूंक रही है।