इराक में 39 भारतीयों की मौत का मामला : सदन में हंगामे का जिम्‍मेदार कौन?

मंगलवार को लगातार 12वें दिन लोकसभा का ये हाल रहा कि सुषमा स्वराज मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों से जुड़ी जानकारी तक नहीं रख पाईं.

इराक में 39 भारतीयों की मौत का मामला : सदन में हंगामे का जिम्‍मेदार कौन?

नई दिल्‍ली:

इराक में 39 भारतीय नागरिकों के मारे जाने की खबर देने जब मंगलवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज लोकसभा पहुंचीं तो वहां हंगामे की वजह से अपना बयान तक नहीं दे सकीं. अब इस संवेदनशील मुद्दे पर लोकसभा में हंगामे का ज़िम्मेदार कौन है इसके लिए राजनीतिक दल एक दूसरे को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं. मंगलवार को लगातार 12वें दिन लोकसभा का ये हाल रहा कि सुषमा स्वराज मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों से जुड़ी जानकारी तक नहीं रख पाईं. एआईएडीएमके और टीआरएस के नेता लोक सभा के वेल में हंगामा करते रहे और सुषमा स्वराज के खड़ा होने पर भी चुप नहीं हुए. हंगामा इतना तेज़ था कि कोशिशों के बावजूद सुषमा स्वराज अपनी बात नहीं कह पायीं.

लेकसभा स्पीकर बार-बार हंगामा कर रहे सांसदों से गुज़ारिश करती रहीं कि वो विदेश मंत्री को एक मानवीय मसले पर अपना बयान देने दें लेकिन सांसदों पर इसका कोई असर नहीं हुआ. संसद के इस हाल का ज़िम्मेदार कौन है? एनडीटीवी ने पूछा तो सब दूसरे को ज़िम्मेदार बताने लगे. लोकसभा के डिप्यूटी स्पीकर और एआईएडीएमके के नेता थंबीदुरई ने कहा कि उनके सांसद लोकसभा के वेल में ज़रूर थे लेकिन जब सुषमा स्वराज बयान देने के लिए उठीं तो उन्होंने हंगामा करना छोड़ दिया था.

टीआरएस के डिप्यूटी लीडर विनोद कुमार ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, "हमारे सांसद AIADMK के सांसदों के साथ वेल में थे ज़रूर लेकिन हमने सुषमा को रोकने की कभी कोशिश नहीं की. हंगामा कांग्रेस, लेफ्ट और टीएमसी के सांसद कर रहे थे. उन्होंने ही सुषमा स्वराज को बयान नहीं देने दिया." हालांकि तृणमूल कांग्रेस के सौगत रे ने इन आरोपों को गलत करार दिया. सौरत रे ने एनडीटीवी से कहा, "AIADMK और TRS के सांसद वेल में आवाज़ उठा रहे थे. जब सुष्मा स्वराज बोलने के लिए उठीं तो कांग्रेस के लोग भी आवाज़ उठाने लगे."

VIDEO: सुषमा स्वराज ने कांग्रेस से पूछा, क्या मौत पर भी राजनीति करेंगे?

जबकि अकाली दल की नेता और केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने आरोप लगाया कि पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने सबसे ज़्यादा हंगामा किया. कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि सरकार के सहयोगी ही लोकसभा के वेल में जाकर सदन की कार्रवाई को बाधित कर रहे हैं. साफ है, लोकसभा में 39 भारतीयों के मारे जाने के मसले पर विदेश मंत्री के बयान के दौरान हंगामे की जवाबदेही लेने के लिए कोई तैयार नहीं है. विदेश मंत्री के बयान के दौरान लोकसभा में जिस तरह से हंगामा हुआ उससे कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. सबसे अहम सवाल ये कि एक संवेदनशील मुद्दे पर क्या राजनीतिक दलों को एकजुट होकर पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना नहीं जतानी चाहिये थी?


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