कड़क अफसर थे टीएन शेषन, डरते थे नेता भी, वोटर आईडी कार्ड इन्‍हीं की देन, ऐसे बदली थी चुनावों की तस्‍वीर

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन (Former CEC TN Seshan) बेहद कड़क अफसर थे. उन्हें 12 दिसंबर 1990 को भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था. 

कड़क अफसर थे टीएन शेषन, डरते थे नेता भी, वोटर आईडी कार्ड इन्‍हीं की देन, ऐसे बदली थी चुनावों की तस्‍वीर

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन

खास बातें

  • टीएन शेषन 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे.
  • टीएन शेषन को चुनावों में सुधार का श्रेय जाता है.
  • शेषन बेहद कड़क अफसर थे.
नई दिल्ली:

भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन (TN Seshan) का रविवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के कई दिग्गज नेताओं ने टीएन शेषन (Former CEC TN Seshan) के निधन पर शोक जताया. केरल के पलक्कड़ जिले के तिरुनेलै में जन्मे टीएन शेषन 1955 बैच के आईएएस अधिकारी थे. उन्हें 12 दिसंबर 1990 को भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था. टीएन शेषन (TN Seshan) को चुनावों में सुधार का श्रेय जाता है. वह बेहद कड़क अफसर थे और देश के कई नेता उनसे डरते थे. टीएन शेषन के कार्यकाल में निष्पक्ष चुनावों के लिए नियमों का सख्ती से पालन किए जाने की शुरुआत हुई. बूथ कैप्चरिंग के लिए बदनाम रहे बिहार में उन्होंने पहली बार कई चरणों में चुनाव कराने का फैसला लिया. चार चरणों में कराए गए चुनाव के लिए कई बार चुनाव की तारीखों में बदलाव भी किया गया था.

पहचान पत्र (वोटर आईडी कार्ड) से चुनाव की कराई शुरुआत 
टीएन शेषन के कार्यकाल में ही चुनावों में पहचान पत्र का इस्तेमाल शुरू हुआ. पहचान पत्र यानी वोटर आईडी कार्ड का लालू समेत कई नेताओं ने विरोध किया था. उस दौरान लालू ने दानापुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए वोटर आईडी कार्ड को लेकर मजाक बनाया था. लालू ने कहा था कि जहां के लोग अपना कागज-पत्तर (दस्‍तावेज) खपरैल के बांस के फोफी में रखता है, बताओ तो वह मतदाता पहचान पत्र कहां से संभाल कर रखेगा?

चुनौती मिलने पर 80 किलोमीटर तक चलाई यात्रियों से भरी बस
शेषन ने चेन्नई में यातायात आयुक्त के रूप में काम किया था. इस दौरान 3000 बसें और 40,000 हज़ार कर्मचारी उनके नियंत्रण में थे. एक ड्राइवर ने सेषन से पूछा, '' अगर आपको ड्राइविंग और बस इंजन की जानकारी नहीं है, तो ड्राइवरों की समस्या कैसे हल करेंगे?'' शेषन ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और ड्राइविंग सीखी, साथ ही वर्कशॉप में भी समय बिताया. एक बार उन्होंने बीच सड़क पर ड्राइवर को रोक कर स्टेयरिंग संभाल लिया और यात्रियों से भरी बस को 80 किलोमीटर तक चलाया.

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मैं नेताओं को नाश्ते में खाता हूं
शेषन के बारे में ये कहा जाता है कि उन्होंने जिस भी मंत्रालय में काम किया वहां सभी काम बेहतर होने लगे. मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद शेषन और राजनेताओं के बीच बयानबाजी चलती रही. उन्होंने एक इंटरव्यू में बोला था, "आई ईट पॉलिटीशियंस फॉर ब्रेकफ़ास्ट." यानी मैं नाश्ते में राजनीतिज्ञों को खाता हूँ.

टीएन शेषन को मिला था रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड
भारतीय चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता लाने वाले शेषन को कई राजनेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा था. हालांकि वह चुनाव व्यवस्था को सुधारने के लिए काम करते रहे. यही कारण है कि उन्हें रैमॉन मैगसेसे अवॉर्ड से नवाजा गया था. भारतीय चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता लाने वाले शेषन को 1996 में ये पुरस्कार मिला था.

VIDEO: पूर्व चुनाव आयुक्त और कैबिनेट सचिव रह चुके थे टी एन शेषन

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