
लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा गठबंधन हुआ था
इन 5 वजहों से टूट गया गठबंधन
गठबंधन के दौरान यह कहा गया था कि लोकसभा चुनाव में सपा समर्थन करेगी और विधानसभा चुनाव में बसपा मदद करेगी ताकि अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बन सकें. लेकिन लोकसभा चुनाव में उम्मीद के अनुसार वोट नहीं मिले जिसके कारण इस गठबंधन का कोई मतलब नहीं रह गया.
मायावती यह सोच रही होंगी कि लोकसभा में हमारे सांसद पहुंच गए हैं और क्षेत्र में कुछ मजबूती मिली है तो विधानसभा की दावेदारी क्यों छोड़ी जाए. गठबंधन इस उम्मीद के साथ किया गया था कि सपा मायावती की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का समर्थन करेगी. लेकिन बीजेपी के प्रचंड बहुमत के आगे ये सब ध्वस्त हो गए.
मायावती का आरोप है कि लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह परिवार ने ही नुकसान पहुंचाया. उनका वोट ही ट्रांसफर नहीं हो पाया. शिवपाल सिंह यादव ने अपने कैंडिडेट खड़े करके काफी वोट काटे और नुकसान पहुंचाया इसलिए अब साथ चुनाव लड़ने का कोई मतलब नहीं है. मायावती का कहना है कि यादव परिवार के कारण ही यादवों का वोट उन्हें नहीं मिला.
मायावती का कहना है कि अजित सिंह जाट वोट को ट्रांसफर कराने में नाकाम रहे ऐसे में साथ चलने का कोई मतलब नहीं रह गया है. लोकसभा चुनाव में आरएलडी का एक भी उम्मीदवार जीत नहीं दर्ज करा पाया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका कोई फायदा नहीं हुआ.
मायावती ने अपने आवास पर आयोजित समीक्षा बैठक में शामिल विधायकों, सांसदों और कोऑर्डिनेटर्स से कहा कि गठबंधन के साथ नहीं अकेले उपचुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि लोकसभा में उम्मीद के अनुसार सफलता नहीं मिलने का मुख्य कारण यादव और जाट वोटों का ट्रांसफर नहीं होना है.