भारत में रिपोर्ट ही नहीं हुए 3.4 मिलियन कोरोनावायरस केस

पीसीआर बनाम एंटीजन टेस्ट परिणामों पर दिखता है कि पीसीआर परीक्षणों में सकारात्मकता दर जो है वो एंटीजन परीक्षणों की तुलना में 2.5 से 3.5 गुना अधिक है.

भारत में रिपोर्ट ही नहीं हुए 3.4 मिलियन कोरोनावायरस केस

नई दिल्ली:

कोविड मामलों की वास्तविक संख्या को कम करने के दो तरीके हैं. पहला, अधिक स्पष्ट तरीका यह है कि किए जाने वाले परीक्षणों की संख्या को कम करना, जैसा कि डोनाल्ड ट्रम्प ने बार-बार सुझाव दिया था. दूसरा, कम स्पष्ट और अधिक कपटी तरीका एंटीजन परीक्षणों की संख्या में वृद्धि और पीसीआर परीक्षणों की संख्या को कम करना है.

जैसा कि हम सभी जानते हैं, एंटीजन टेस्ट कोविड वायरस को पीसीआर टेस्ट की तरह पता नहीं लगाते हैं. वास्तव में अलग-अलग डेटा केवल कुछ राज्यों द्वारा प्रकाशित किए गए हैं, पीसीआर बनाम एंटीजन टेस्ट परिणामों पर दिखता है कि पीसीआर परीक्षणों में सकारात्मकता दर जो है वो एंटीजन परीक्षणों की तुलना में 2.5 से 3.5 गुना अधिक है. (उदाहरण के लिए, दिल्ली में पीसीआर परीक्षणों के लिए सकारात्मकता दर 14% है जबकि एंटीजन परीक्षणों के लिए सकारात्मकता दर 4% है).

1. खराब टेस्टिंग के संकेत
यह तालिका स्पष्ट रूप से अच्छे, बुरे और भयंकर राज्यों को दिखाती है. बिहार, तेलंगाना, गुजरात, दिल्ली और यूपी 50% से कम पीसीआर परीक्षणों के साथ भारत के 5 सबसे खराब राज्य हैं. तमिलनाडु और राजस्थान 100% पीसीआर परीक्षणों के साथ उत्कृष्ट हैं.

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3. कोविड मामलों की अंडर-रिपोर्टिंग
जिन राज्यों ने उच्च स्तर पर एंटीजन टेस्ट किए उनसे बड़े स्तर पॉजिटिव केस छूट गए.  एक बार फिर, बिहार - विशेष रूप से चुनावों के दौरान - कोविड मामलों की रिपोर्टिंग में भारत में सबसे खराब स्थिति थी. बिहार में कोविड मामलों की सही संख्या आधिकारिक रूप से रिपोर्ट किए गए मामलों का एक चौंकानेवाली 132% थी. तेलंगाना और गुजरात ने भी अपने राज्यों में बड़ी संख्या कोविड महामारी की अंडर-रिपोर्ट की है. 

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3. बड़ी संख्या में कोरोना के मामले रिपोर्ट ही नहीं किए गए
 लेकिन वास्तविक संख्या में इन प्रतिशत का क्या मतलब है?

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4.असल टेस्टिंग के स्तर पर राज्यों की रैंकिंग
किसी भी राज्य की सही रैंकिंग उसकी जनसंख्या का कितना अच्छा परीक्षण कर रही है यह पीसीआर परीक्षणों की संख्या से पता चलता है.

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5.जिन राज्यों ने अपने सही पॉजिटिविटी रेट को काम दिखाया
भारत की सकारात्मकता दर पर आधिकारिक आंकड़े भ्रामक हैं. सही सकारात्मकता दर बहुत अधिक है. एक बार फिर, पीसीआर परीक्षणों से सच्चाई का पता चलता है.

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