युवाओं की बात करने वाले राहुल गांधी ने आखिर क्यों 'अनुभवी चेहरों' को चुना?

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में क्रमश: अशोक गहलोत, कमलनाथ और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने.

युवाओं की बात करने वाले राहुल गांधी ने आखिर क्यों 'अनुभवी चेहरों' को चुना?

युवाओं की बात करने वाले राहुल गांधी ने सीएम पद के लिए अनुभवी चेहरों को तरजीह दी है.

नई दिल्ली :

हालिया विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए. हिंदी बेल्ट के तीन प्रमुख राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी ने सत्तारूढ़ बीजेपी से कुर्सी छीन ली. तीनों ही राज्यों में कांग्रेस ने युवा चेहरों पर अनुभव को तरजीह दिया. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में क्रमश: अशोक गहलोत, कमलनाथ और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के फैसले पर सवाल भी उठे कि आखिर उन्होंने खासकर राजस्थान और मध्यप्रदेश में युवा चेहरों- सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया को मौका क्यों नहीं दिया? राजस्थान की सियासत को करीब से समझने वाली विश्लेषक निकिता कहती हैं, 'इसे 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति कह सकते हैं. कांग्रेस अपनी लय धीरे-धीरे फिर से हासिल कर रही है. अगले साल लोकसभा चुनाव जीतने के लिए उन्हें अनुभव की सख्त जरूरत पड़ेगी. अशोक गहलोत और कमलनाथ बहुत ही परिपक्व नेता हैं, अपने-अपने राज्यों में इनकी एक छाप है, जो लोकसभा चुनाव में बहुत मदद करेगी.

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विश्लेषक निकिता कहती हैं, 'सचिन पायलट ने बीते कई वर्षो में ग्रासरूट पर बहुत काम किया है. पायलट की लोकप्रियता में भी काफी तेजी से इजाफा हो रहा है. अशोक गहलोत ने एक बार कहीं कहा था कि यह शायद उनका 'आखिरी मौका' हो सकता है तो उनका यह बयान शायद काम कर गया. गहलोत और कमलनाथ, सोनिया गांधी के कंटेम्परेरी नेता भी हैं, इस बात को ध्यान में रखना चाहिए. 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए पार्टी को अनुभव चाहिए, जो कमलनाथ और गहलोत के पास है. सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी अंदरखाने खुद को कमजोर नहीं करना चाहेगी. दूसरी तरफ, कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं, 'कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है. यहां हर फैसला गहन विचार-विमर्श के बाद ही होता है. पार्टी में वही फैसले होते हैं, जिस पर सभी की एकराय होती है. गहलोत और कमलनाथ पर एकराय बनी'. 

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राजनीतिक विश्लेषक संदीप शास्त्री कहते हैं, "इसका एक मायने यह भी हैं कि सचिन पायलट के पास मौके बहुत हैं, वह अभी सिर्फ 41 साल के हैं. उनके पास अथाह समय बचा है, लेकिन 67 साल के गहलोत और 72 साल के कमलनाथ को शायद आगे इस तरह का मौका नहीं मिल पाए. इसलिए उनके अनुभव और उम्र को देखते हुए उन्हें मौका दिया गया है'. कमोबेश इसी स्थिति में सिंधिया भी हैं. (इनपुट- IANS से भी)

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