चंद्रयान-2 के लिए आखिरी के 15 मिनट क्यों हैं सबसे मुश्किल? बता रहे हैं- ISRO के चेयरमैन

इसरो के वैज्ञानिकों के लिए पंद्रह मिनट इस मिशन की सबसे बड़ी चुनौती रहेंगे, क्योंकि विक्रम लैंडर और उसमें रखे गए प्रज्ञान रोवर को बिना किसी नुकसान के चांद की सतह पर उतारना है.

चंद्रयान-2 के लिए आखिरी के 15 मिनट क्यों हैं सबसे मुश्किल?  बता रहे हैं- ISRO के चेयरमैन

ISRO के चेयरमैन डॉ. के सिवन.

खास बातें

  • लैंडिंग के आखिरी के 15 मिनट हैं सबसे चुनौतीपूर्ण
  • इसको 15 Minutes of Terror भी कहा जा रहा है
  • चांद की सतह से 30 किलोमीटर उपर से होगी लैंडिंग की शुरुआत
नई दिल्ली :

अब से कुछ घंटे बाद देर रात 1 बजकर 55 मिनट पर जब चंद्रयान का लैंडर विक्रम चांद की धरती पर कदम रखेगा, उसी के साथ भारत एक नया इतिहास रच देगा. भारत का ये दूसरा चंद्रयान मिशन जो जो चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर उतरेगा जहां अब तक किसी भी देश की नज़र नहीं गई है. पीएम मोदी क़रीब 70 छात्रों के साथ इसरो के बेंगलुरु दफ़्तर में लाइव देखेंगे. इसके साथ ही अमेरिकी एजेंसी नासा समेत पूरी दुनिया की निगाहें इस अभियान पर टिकी हुई हैं. लैंडर विक्रम में तीन से चार कैमरा और सेंसर के साथ ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिससे उसे किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा.

चांद की ओर इसरो का मिशन चंद्रयान 2 (Chandrayaan-2) अब तक के सबसे जटिल दौर से गुज़रने को तैयार है. शुक्रवार और शनिवार की आधी रात चंद्रयान से निकला विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने जा रहा है. इसरो के वैज्ञानिकों के लिए पंद्रह मिनट इस मिशन (Chandrayaan-2) की सबसे बड़ी चुनौती रहेंगे, क्योंकि विक्रम लैंडर और उसमें रखे गए प्रज्ञान रोवर को बिना किसी नुकसान के चांद की सतह पर उतारना है. इस छोटे से अंतराल को 15 Minutes of Terror यानी डर से भरे पंद्रह मिनट भी कहा जा रहा है. एनडीटीवी से खास बातचीत में ISRO के चेयरमैन डॉ. के सिवन ने बताया कि चांद की सतह से 30 किलोमीटर ऊपर से लैंडिंग की शुरुआत होगी. इसमें कुल 15 मिनट लगेंगे. इसरो ने चांद की सतह पर उतरने से जुड़ा ये अभियान पहले कभी अंजाम नहीं दिया. 

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अगर आप यान से कुछ छोड़ते हैं तो वो किसी फुटबॉल की तरह नीचे गिरता है. ये एक बेहद जटिल प्रक्रिया है जो हमारे लिए पूरी तरह नयी है. जो लोग इसे पहले अंजाम दे चुके हों उनके लिए भी ये एक बहुत कठिन प्रक्रिया है. हम इसे पहली बार कर रहे हैं इसलिए हमारे लिए ये जोखिम से भरे 15 मिनट हैं. जब यान नीचे आ रहा हो तो उसे संभालना होता है ठीक वैसे ही जैसे हम किसी छोटे बच्चे को हाथ में थाम कर नीचे उतार रहे हों. ये काम यान का प्रोपल्शन सिस्टम करता है. चंद्रयान 2 के चार कोनों पर चार इंजन हैं जो उसे थाम कर रखते हैं. 

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लेकिन अगर चारों इंजन चल रहे हों तो इससे काफ़ी धूल उड़ सकती है और भ्रम पैदा हो सकता है. इसलिए एक निश्चित ऊंचाई पर ये चारों इंजन बंद करने होंगे और बीच का इंजन चालू करना होगा. डॉ. सिवन कहते हैं, अंतरिक्ष विज्ञान में हमेशा कई जोखिम होते हैं चाहे आपने पहले जो भी हासिल कर लिया हो. चौंकाने वाली कोई भी चीज़ सामने आ सकती है. हमारी कोशिश अपना सर्वश्रेष्ठ करने की होगी. हमने पूरी तैयारी की है और किसी भी चीज़ का सामना करने को तैयार हैं. 

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